
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विशेष विवाह प्रमाणपत्र (Marriage Registration) को लेकर एक नया ट्रेंड देखने को मिला है। राज्य में निकाह के बाद अब मुस्लिम जोड़े मैरेज रजिस्ट्रेशन कराने प्रशासनिक कार्यालयों में पहुंच रहे हैं। इस रुझान के पीछे मुख्य कारण है सिर्फ विशेष विवाह अधिनियम (SIR) के तहत वैधानिक विवाह का महत्व और इससे जुड़ा कानूनी सुरक्षा का भरोसा।
किन जिलों में सबसे ज्यादा आवेदन?
अधिकारियों ने बताया कि सीमावर्ती जिलों में आवेदन सबसे ज्यादा दर्ज हुए हैं। उत्तरी दिनाजपुर से 199, मालदा से 197, मुर्शिदाबाद से 185 और कूचबिहार से 97 आवेदन प्राप्त हुए हैं। ये चारों जिले बिहार और बांग्लादेश की सीमा से लगे हुए हैं।
वहीं, कोलकाता में केवल 24 आवेदन आए, जो कि सबसे कम है। झारग्राम और कलिम्पोंग में तो क्रमशः केवल 1 और 2 आवेदन दर्ज किए गए।
मैरेज सर्टिफिकेट क्यों जरूरी?
विशेष विवाह अधिनियम के तहत जारी प्रमाणपत्र न केवल विवाह की वैधानिक मान्यता देता है, बल्कि इसे भारत में नागरिकता और अन्य कानूनी कार्यों में भी मान्यता प्राप्त दस्तावेज माना जाता है।
अधिकारी ने बताया कि मुसलमानों के लिए विवाह और तलाक पंजीकरण पहले 1876 के अधिनियम के तहत होता था। यह प्रक्रिया सरल थी और जल्दी विवाह, तलाक और पुनर्विवाह करने में मदद करती थी। हालांकि, इस अधिनियम का दुरुपयोग होने के कारण विशेष विवाह अधिनियम को प्राथमिकता दी जा रही है।
विशेष विवाह अधिनियम के तहत केवल एक ही विवाह वैध होता है, जिससे बहुविवाह जैसी कानूनी समस्याओं से बचा जा सकता है। अधिकारी ने यह भी कहा कि SIR के तहत विवाह करने से कानूनी सुरक्षा, पारदर्शिता और प्रमाणिकता सुनिश्चित होती है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में SIR की बढ़ती लोकप्रियता
विशेष विवाह अधिनियम के तहत वैध विवाह प्रमाणपत्र को लेकर यह प्रवृत्ति सीमावर्ती जिलों में सबसे तेज़ी से बढ़ रही है। लोगों का कहना है कि SIR के तहत विवाह करने से भविष्य में कानूनी और प्रशासनिक परेशानियों से बचा जा सकता है।