Thursday, December 4

स्कूल जाने से इंकार कर रहा बच्चा, दादा-दादी की हर जिद पूरी करने की आदत बनी समस्या: एक्सपर्ट ने बताया समाधान

नई दिल्ली: दादा-दादी का बच्चों पर प्यार कभी-कभी भारी पड़ सकता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां 10 साल का बच्चा पिछले एक महीने से स्कूल जाने से इंकार कर रहा था और उसकी इस जिद में ग्रैंडपेरेंट्स ने भी उसका साथ दिया। मां बेहद परेशान थी और पीडियाट्रिशन डॉक्टर पवन मंदाविया ने इस जटिल स्थिति पर प्रकाश डाला।

1. दादा-दादी ने दी बच्चे को पूरी छूट

मां के अनुसार, जब भी उन्होंने बच्चे को स्कूल भेजने की कोशिश की, दादा-दादी बीच में आकर कहते कि अगर बच्चा नहीं जाना चाहता तो मत भेजो। इसी कारण बच्चा लगातार घर पर ही बैठा रहा।

2. बहन पर भी पड़ा असर

बच्चे के जिद्दी व्यवहार का असर उसकी चार साल की छोटी बहन पर भी पड़ा। उसने भी स्कूल जाने से इंकार कर दिया, जिससे मां और ज्यादा परेशान हुईं।

3. खिलौनों और महंगी चीजों से बढ़ती मनमानी

डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की जिद के चलते उसे दादा-दादी द्वारा महंगे खिलौने और यहां तक कि 10 हजार रुपए की कार भी दिलाई गई। इस वजह से बच्चा और अधिक मनमानी और जिद्दी बन गया।

4. ग्रैंडपेरेंट्स की हस्तक्षेप समस्या बढ़ाते हैं

मंदाविया ने कहा कि अक्सर जॉइंट फैमिली में देखा जाता है कि बच्चे की हर जिद पूरी की जाती है, खासकर जब बच्चा लड़का हो या घर का “चिराग” माना जाए। इससे माता-पिता के अनुशासन का असर कम हो जाता है।

5. समाधान – पिता का सक्रिय रोल जरूरी

डॉक्टर का मानना है कि बच्चे को अनुशासित रखना सिर्फ मां का काम नहीं है। पूरा परिवार, खासकर पिता, अनुशासन तय करने और दादा-दादी से उसका समर्थन करवाने में अहम भूमिका निभाए। प्यार और अनुशासन दोनों जरूरी हैं, नहीं तो बच्चे की जिद और मनमानी बढ़ती रहती है।

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