Sunday, December 21

अंता उपचुनाव में बढ़ी सियासी गर्मी — हनुमान बेनीवाल की एंट्री से रणक्षेत्र में मचा हड़कंप, कांग्रेस-भाजपा दोनों खेमों में बढ़ी बेचैनी

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जयपुर / अंता : राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव का राजनीतिक तापमान अब चरम पर पहुंच गया है। जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक हलचल और तेज हो रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने-अपने दिग्गजों को मैदान में उतार चुकी हैं, लेकिन इस बीच हनुमान बेनीवाल की संभावित एंट्री ने चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव ला दिया है।

🗳️ हनुमान बेनीवाल की एंट्री से सियासत में हलचल

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने इस बात की पुष्टि की है कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) प्रमुख हनुमान बेनीवाल 8 नवंबर को अंता में उनके समर्थन में शक्ति प्रदर्शन रैली करेंगे। नरेश मीणा का कहना है कि बेनीवाल का साथ उन्हें चुनावी मैदान में नई ताकत देगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हनुमान बेनीवाल की एंट्री से अंता का उपचुनाव एकतरफा नहीं रहेगा, बल्कि मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

🧩 कांग्रेस और भाजपा के बीच बढ़ती टक्कर

कांग्रेस की ओर से प्रमोद जैन ‘भाया’ पूरी ताकत से मैदान में हैं। वे धनबल और स्थानीय पकड़ के सहारे वोटरों को साधने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जाट कार्ड चलकर मुकाबले को और धारदार बना दिया है।

उधर, भाजपा प्रत्याशी मोरपाल सुमन का प्रचार अभियान सतह पर भले धीमा दिख रहा हो, लेकिन पार्टी की अंदरूनी रणनीति बेहद गहरी बताई जा रही है।
हालांकि, अंदरूनी मतभेदों की फुसफुसाहट भाजपा खेमे में खुलकर सुनाई देने लगी है।

🌸 वसुंधरा की एंट्री से बदला भाजपा का मूड

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के औपचारिक दौरे के बाद चुनावी माहौल में ठहराव आ गया था, लेकिन दो दिन पहले वसुंधरा राजे की एंट्री ने भाजपा में नई जान फूंक दी है।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे की संयुक्त रैली कल अंता में होगी, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश का माहौल बन गया है।

🔥 बेनीवाल की रैली से ‘लंका दहन’ जैसा माहौल संभव

अंता उपचुनाव में इस बार मुकाबला केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच नहीं, बल्कि तीसरे मोर्चे की लहर भी मजबूत होती दिख रही है।
हनुमान बेनीवाल की रैली को लेकर स्थानीय राजनीति में कहा जा रहा है कि यह सभा कई पुराने राजनीतिक हिसाब-किताब भी बराबर कर सकती है।
अगर बेनीवाल 8 नवंबर को रैली कर देते हैं, तो अंता का राजनीतिक मैदान सचमुच ‘लंका दहन’ जैसा गरम दिखेगा।

📍 राजस्थान की राजनीति के लिए भी अहम है यह उपचुनाव

अंता की सीट पर यह उपचुनाव केवल एक विधानसभा क्षेत्र का मामला नहीं, बल्कि राजस्थान की सत्ता समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है।
यहां की जीत या हार तय करेगी कि आगामी विधानसभा चुनावों में कौन-सा दल जनता के मूड को बेहतर समझ पा रहा है — कांग्रेस, भाजपा या फिर कोई तीसरी ताकत।

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