
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार 13 दिसंबर को अपने दो साल पूरे करने जा रही है। इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार से ही मंत्रियों के विभागीय कामकाज की विस्तृत समीक्षा बैठकों की शुरुआत कर दी है। सभी मंत्रियों को अपने विभागों का दो साल का रिपोर्ट कार्ड और आने वाले तीन वर्षों की कार्य योजना प्रस्तुत करनी है। सरकार ने अपनी उपलब्धियों और सुधारों के कुछ हिस्से मीडिया में साझा किए हैं, लेकिन इसी बीच कांग्रेस ने इसे लेकर बड़ा राजनीतिक हमला बोला है।
कांग्रेस का पलटवार: ‘यह सिर्फ कॉस्मेटिक ऑडिट’
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार की समीक्षा प्रक्रिया पर सीधा सवाल उठाते हुए इसे दिखावटी करार दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को सबसे पहले अपने ही विभाग—गृह विभाग—की समीक्षा करनी चाहिए।
पटवारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि एमपी गृह विभाग देश के सबसे ‘अक्षम विभागों’ में शामिल है। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि सबसे पहले उनके विभाग की विफलताओं पर जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा।
भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप
पटवारी ने प्रेस वार्ता में आरोपों की लंबी सूची पेश की—
- नकली बीजों के मामले में ईओडब्ल्यू जांच,
- परमिट के दुरुपयोग की शिकायतें,
- बीमा कंपनियों के साथ कथित मिलीभगत,
- कैग रिपोर्ट में गंभीर टिप्पणियों के बावजूद कार्रवाई न होना,
- स्कूलों से 50 लाख बच्चों के गायब होने का दावा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने टोल प्लाजा हटाने का दावा किया, लेकिन “सभी टोल अभी भी चालू हैं”। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या परिवहन मंत्री अपने दावों को लेकर इस्तीफा देंगे।
‘अलीबाबा और चालीस चोर’ वाली टिप्पणी से बढ़ा सियासी तापमान
कांग्रेस अध्यक्ष ने सबसे तीखा हमला करते हुए कहा—
“यह 40% कमीशन वाली सरकार है। मुखिया अलीबाबा की तरह काम करता है और मंत्री चालीस चोरों की तरह।”
इस टिप्पणी ने मध्य प्रदेश की राजनीति में साफ तौर पर गर्मी ला दी है।
पटवारी ने यह चुनौती भी दी कि भाजपा ऐसा कोई विधायक बताए जिसके क्षेत्र में बिना रिश्वत लिए काम हुआ हो।
उन्होंने घोषणा की कि कांग्रेस जल्द ही हर विभाग की अपनी सार्वजनिक समीक्षा करेगी और सरकार की ‘वास्तविक स्थिति’ जनता के सामने रखेगी।