Monday, December 1

CJI सूर्यकांत: कड़ी मेहनत, आत्मपरीक्षण और निरंतर सीख—कामयाबी के 5 सूत्र

नई दिल्ली: देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने अपने करियर और अनुभवों से वकीलों और छात्रों को सफलता के मूल मंत्र बताए हैं। उनके जीवन और कार्यशैली से निकलते हैं पांच महत्वपूर्ण सूत्र, जिन्हें अपनाकर कोई भी कानूनी पेशे में उत्कृष्टता हासिल कर सकता है।

1. कड़ी मेहनत करो, बाकी किस्मत पर छोड़ दो

CJI सूर्यकांत का मानना है कि किसी विशेष पृष्ठभूमि या प्रभावशाली संपर्कों की जरूरत नहीं होती। सफलता केवल कड़ी मेहनत और अदालती मामलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन पर निर्भर करती है।

2. सावधानीपूर्वक आत्मपरीक्षण

उन्होंने हमेशा अपने कार्यों का आत्मपरीक्षण किया। हर चूक और कमी को नोटबुक में दर्ज कर आगे सुधार किया। यह आदत उनके न्यायाधीश और अटॉर्नी जनरल के रूप में कार्यकाल में अमूल्य साबित हुई।

3. शिक्षा में निरंतरता

जज रहते हुए ही CJI सूर्यकांत ने 2011 में एलएलएम की डिग्री कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से पूरी की। उन्होंने अपनी क्लास में प्रथम स्थान हासिल किया, यह उनके सीखने की इच्छा और अनुशासन को दर्शाता है।

4. धैर्य और समय की समझ

उनकी नियुक्तियों में कई बार देरी हुई, जैसे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में वरिष्ठता के कारण नियुक्ति को मंजूरी में 9 महीने लगे। इसके बावजूद उन्होंने धैर्य और लगन बनाए रखी और सर्वोत्तम प्रदर्शन किया।

5. उत्कृष्टता और व्यावहारिकता

सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति से पहले उनके सहयोगियों ने उनकी कानूनी कुशाग्रता और व्यावहारिक दृष्टिकोण की सराहना की। उन्होंने अपने जीवन में हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शन और व्यावहारिक निर्णय को महत्व दिया।

जीवन और प्रेरणा

हरियाणा के हिसार जिले के मध्यमवर्गीय परिवार से आए सूर्यकांत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और ओम प्रकाश चौटाला सरकार में महाधिवक्ता बने। उनका जीवन यह सिखाता है कि कड़ी मेहनत, आत्मपरीक्षण, निरंतर शिक्षा, धैर्य और व्यावहारिकता किसी भी व्यक्ति को सफलता के शिखर तक पहुंचा सकती हैं।

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