Tuesday, November 25

मारवाड़ी शादी की अनोखी रस्में: परंपरा, संस्कृति और रंगों का अद्भुत संगम

भारत की विविध संस्कृति में हर समुदाय की अपनी विशिष्ट पहचान है, और मारवाड़ी शादियां इसी सांस्कृतिक धरोहर का सबसे चमकदार उदाहरण मानी जाती हैं। रंग-बिरंगे परिधानों, लोकगीतों, नृत्य और सदियों पुरानी परंपराओं से सजी ये शादियां न सिर्फ देखने वालों का दिल जीत लेती हैं, बल्कि अपनी गहराई और सांस्कृतिक मूल्यों से हर किसी को प्रभावित भी करती हैं। कई ऐसी रस्में हैं, जिनके बारे में आम लोग बहुत कम जानते हैं। आइए जानें मारवाड़ी विवाह की उन खास परंपराओं के बारे में, जो इसे सबसे अनोखा बनाती हैं—

भात न्योतना: रिश्तों का पहला निमंत्रण

मारवाड़ी शादी की शुरुआत भात न्योतने की रस्म से होती है। इसमें दूल्हा और दुल्हन के परिवार एक-दूसरे को औपचारिक निमंत्रण देते हैं और उपहारों के आदान-प्रदान के साथ रिश्तों को मजबूत करने का वचन भी निभाते हैं। परिवारों का यह मिलन शुभ और सफल विवाह की नींव माना जाता है।

रात्रि जोगा: बुरी शक्तियों से सुरक्षा

शादी से एक-दो दिन पहले होने वाला रात्रि जोगा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस दौरान घरों की दीवारों पर पवित्र चिन्ह बनाए जाते हैं और दूल्हे का परिवार दुल्हन के घर जाकर उपहार व मिठाइयां भेंट करता है। मान्यता है कि यह रस्म विवाह को नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षित रखती है।

पिट्ठी लगाना: हल्दी की खुशियों भरी रस्म

हल्दी समारोह जिसे मारवाड़ी परंपरा में ‘पिट्ठी लगाना’ कहा जाता है, शादी का सबसे मनोरंजक हिस्सा होता है। दूल्हा-दुल्हन के घर में हल्दी लगने के दौरान बच्चे और परिवारजन खूब मस्ती करते हैं। माना जाता है कि हल्दी शरीर और मन को शुद्ध कर दूल्हा-दुल्हन को वैवाहिक जीवन के लिए तैयार करती है।

पल्ला और जनेव: आशीर्वाद और परंपरा का संगम

पल्ला रस्म में दूल्हे का परिवार दुल्हन को शादी के दिन पहनने के लिए परिधान और गहने भेंट करता है। वहीं जनेव समारोह में दूल्हे को पवित्र धागा पहनाया जाता है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह दाम्पत्य जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।

गणेश स्थापना: शुभारंभ का प्रतीक

विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा विवाह की सबसे महत्वपूर्ण शुरुआत मानी जाती है। दूल्हा और दुल्हन दोनों अपने-अपने घर में नंदी गणेश स्थापित कर विवाह की सफलता और मंगल कामना करते हैं।

मुद्दा या तिलक: सम्मान और स्वीकार्यता

इस रस्म में दुल्हन का परिवार दूल्हे का तिलक कर उसे सम्मानपूर्वक स्वीकार करता है। फल, मिठाइयों और उपहारों की टोकरी इस परंपरा को और अधिक विशेष बनाती है।

निकासी: बारात की शान

शादी के दिन दूल्हे की निकासी धूमधाम से निकाली जाती है। तिलक, सेहरा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के बीच बारात रवाना होती है। इस दौरान भाभी द्वारा देवर की आंखों में काजल लगाकर नेग लेना शुभ माना जाता है।

घरवा: मामा का प्यार

घरवा रस्म में दुल्हन के मामा द्वारा दिए गए सामान की प्रदर्शनी होती है और उसकी पूजा की जाती है। इसे परिवार की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

मारवाड़ी शादियां न सिर्फ रस्मों का मेल हैं, बल्कि भावनाओं, संबंधों और परंपराओं का सुंदर उत्सव भी हैं। यही वजह है कि यह विवाह परंपरा आज भी अपनी विशिष्टता और भव्यता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

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