
मेरठ। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में स्वच्छता और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हुए एक चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। वीडियो में गर्ल्स हॉस्टल की मेस के प्लेटफॉर्म पर एक कुत्ता उन थालियों को चाटते और खाना खाता दिखाई दे रहा है जिनका उपयोग रेजिडेंट डॉक्टर और मेडिकल छात्राएं भोजन के लिए करती हैं। इस घटना ने कॉलेज प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वीडियो सामने आते ही छात्राओं और डॉक्टरों में भारी आक्रोश फैल गया। मेडिकल समुदाय ने मेस प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां मरीजों और डॉक्टरों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी कॉलेज पर होती है, वहीं खाने की प्लेटों तक की स्वच्छता सुनिश्चित नहीं की जा रही है। आक्रोशित रेजिडेंट डॉक्टरों और छात्राओं ने मेस का बहिष्कार कर दिया है और साफ चेतावनी दी है कि जब तक नए बर्तन उपलब्ध नहीं कराए जाते और सुरक्षा व सफाई के पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाते, वे मेस में खाना नहीं खाएंगे।
छात्राओं का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण देने का दावा करता है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। उनका तर्क है कि जब भोजन के बर्तन तक सुरक्षित नहीं हैं, तो व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर कैसे भरोसा किया जाए?
केवल हॉस्टल ही नहीं, पूरा मेडिकल कॉलेज परिसर आवारा जानवरों की समस्या से जूझ रहा है। अस्पताल में मरीज और तीमारदार आवारा कुत्तों और बंदरों की हरकतों से परेशान रहते हैं। बंदरों के वाहन क्षतिग्रस्त करने और कुत्तों के ओपीडी व वार्डों में बेखौफ घूमने के मामले आम हो चुके हैं। अस्पताल जैसी संवेदनशील जगहों पर ऐसी अव्यवस्था सीधे-सीधे मरीजों की सुरक्षा और संक्रमण नियंत्रण के लिए खतरा मानी जा रही है।
इधर, कॉलेज प्रशासन का कहना है कि नगर निगम टीम आवारा कुत्तों को पकड़ने के अभियान में लगी हुई है। स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमर सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद से यह कार्रवाई की जा रही है। इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज परिसर में कुत्तों की मौजूदगी यह संकेत देती है कि कार्रवाई केवल कागजों में सीमित है, जबकि जमीनी स्तर पर स्थिति में सुधार नहीं दिख रहा है।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि कॉलेज प्रशासन इस गंभीर लापरवाही पर क्या कदम उठाता है और क्या छात्राओं तथा डॉक्टरों की मांगों पर ठोस कार्रवाई होती है।