
पटना: बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर बीजेपी और जदयू के बीच रस्साकशी जारी है। विधायकों के शपथ ग्रहण से पहले ही इस संवैधानिक और महत्वपूर्ण पद पर दोनों दलों के बीच खींचतान साफ दिख रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह विभाग बीजेपी को सौंप दिया है। इसके बाद आदर्श स्थिति यह है कि विधानसभा अध्यक्ष पद जदयू को मिले। लेकिन, अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
जदयू की तैयारी:
जदयू नेतृत्व इस पद के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी विधायक को ताजपोशी के लिए तैयार कर रहा है। वर्ष 2005 से लेकर अब तक विधानसभा अध्यक्ष के पद पर कई बार सत्ता और सहयोगी दलों के समीकरणों के अनुसार बदलाव होता रहा है। पिछले चुनावों में बीजेपी ने नंद किशोर यादव और विजय सिन्हा को अध्यक्ष बनाया था।
बीजेपी का दावा:
बीजेपी की तरफ से प्रेम कुमार को विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए तैयार किया गया है। वह पहले भी नौ बार विधायक रह चुके हैं और पार्टी के भीतर उनकी मजबूत पकड़ है।
जदयू का अपर हैंड:
जदयू के भीतर दामोदर रावत और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की संभावना पर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि सम्राट चौधरी ने सलीके से उप मुख्यमंत्री और गृह विभाग का संतुलन बनाते हुए अब विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी भी अपने पक्ष में करने की तैयारी की है।
तनातनी बरकरार:
मंत्री विभागों का बंटवारा हो जाने के बावजूद इस संवैधानिक पद को लेकर निर्णय लंबित है। शपथ ग्रहण की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है, और एनडीए में इस पर सहमति बनाने को लेकर हलचल जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अंतिम निर्णय ही तय करेगा कि इस बार जदयू की तरफ से कौन या बीजेपी की तरफ से प्रेम कुमार विधानसभा अध्यक्ष बनेंगे।