Wednesday, November 19

कई किलो रुद्राक्ष धारण कर केलिकुंज आश्रम पहुंचे श्री श्री 1008 कालिदास महाराज, प्रेमानंद महाराज को किया दंडवत, भेंट में लाए पवित्र प्रसाद

मथुरा। श्रीहित राधा केलिकुंज आश्रम में मंगलवार को एक अत्यंत भावपूर्ण और विशिष्ट आध्यात्मिक संगम देखने को मिला, जब तपस्वी महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 बाबा कालिदास कृष्णानंद परमहंस महाराज संत प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे। अपने पूरे शरीर पर कई किलो रुद्राक्ष धारण किए कालिदास महाराज के आगमन ने आश्रम में विशेष वातावरण बना दिया।

दंडवत प्रणाम और स्नेहिल आलिंगन का आध्यात्मिक क्षण

आश्रम पहुंचते ही कालिदास महाराज ने प्रेमानंद महाराज को भूमि पर लेटकर दंडवत प्रणाम किया। इसके प्रत्युत्तर में प्रेमानंद महाराज ने भी दंडवत प्रणाम कर उन्हें स्नेहपूर्वक गले लगाया। यह दृश्य उपस्थित श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत भावुक और दिव्य क्षण बन गया।

कालिदास महाराज ने कुर्सी पर न बैठकर जमीन पर ही आसन ग्रहण किया और काफी देर तक संत-परंपरा, आध्यात्मिक ऊर्जा और साधना मार्ग पर चर्चा की।

पवित्र उपहारों की भेंट

इस अवसर पर कालिदास महाराज, प्रेमानंद महाराज के लिए कई पवित्र सामग्री लेकर आए। इनमें शालिग्राम, केदारनाथ धाम का प्रसाद व जल, मां कामाख्या देवी के अंगवस्त्र और अन्य तीर्थों से लाया पवित्र जल शामिल था। उन्होंने बताया कि यह भेंट उनके मन में बसे गहरे सम्मान और प्रेम की निशानी है।

‘युग पुरुष’ कहकर जताई श्रद्धा

मुलाकात के दौरान कालिदास महाराज ने प्रेमानंद महाराज के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धा व्यक्त की। उन्होंने कहा—

“मैं अवतार युग पुरुष को पाकर धन्य हो गया। आपका आशीर्वाद ऐसे ही दुनिया पर बना रहे, आपकी कीर्ति देश-विदेश में फैलती रहे।”

जमीन पर बैठने का कारण पूछने पर उन्होंने कहा—
“प्रेमानंद महाराज श्री के चरणों की रज पाना सौभाग्य है, इसलिए जमीन पर बैठा हूं।”

प्रेमानंद महाराज का विनम्र उत्तर

प्रेमानंद महाराज ने इस प्रशंसा को अत्यंत विनम्रता से स्वीकार किया। अपने जीवन को कुम्हार की मिट्टी से तुलना करते हुए उन्होंने कहा—

“संत कृपा साधारण मनुष्य को भी महापुरुष बना सकती है। हमारा जीवन संतों के चरणों में है, वही हमारी दिशा तय करते हैं।”

दोनों संतों के बीच गहरा अनुराग

भेंट के दौरान मौजूद शिष्य नवल नागरी महाराज ने बताया कि कालिदास महाराज, प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को लेकर अत्यंत चिंतित रहते हैं और हल्की सी भी जानकारी मिलने पर तुरंत फोन कर हालचाल लेते हैं। यह दोनों संतों के बीच आपसी सम्मान, प्रेम और आध्यात्मिक संबंध की गहराई को दर्शाता है।

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