Tuesday, November 18

हर आठ मिनट में बच्चा लापता? सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता

नई दिल्ली, एनबीटी डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने देश में हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता होने की खबर पर गहरी चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह तथ्य सत्य है या नहीं, यह निश्चित नहीं है, लेकिन यह एक गंभीर समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

गोद लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का निर्देश
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि बच्चे के गोद लेने की प्रक्रिया को सरल और सुव्यवस्थित किया जाए। न्यायालय ने कहा कि कठोर गोद लेने की प्रक्रिया के कारण लोग अवैध तरीकों का सहारा ले सकते हैं।

समय देने से किया इनकार
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने लापता बच्चों के मामलों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए नौ दिसंबर तक प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया।

मिशन वात्सल्य पोर्टल का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में लापता बच्चों के मामलों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं और उनके नाम व संपर्क विवरण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मिशन वात्सल्य पोर्टल पर प्रकाशित किए जाएं। अदालत ने कहा कि पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों की जानकारी तुरंत संबंधित नोडल अधिकारियों तक पहुँचाई जाए।

समन्वय की कमी पर निशाना
कोर्ट ने देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी की ओर ध्यान दिलाया। पोर्टल के माध्यम से प्रत्येक राज्य में एक विशेष अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है जो गुमशुदा बच्चों से संबंधित शिकायतों का प्रभारी होगा।

NGO की याचिका पर ध्यान
गैर सरकारी संगठन गुरिया स्वयंसेवी संस्थान ने अदालत में याचिका दायर की थी। याचिका में पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में दर्ज पांच मामलों का उल्लेख किया गया, जिनमें नाबालिग लड़कों और लड़कियों का अपहरण कर उन्हें झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में तस्करी के नेटवर्क के जरिए ले जाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है।

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