
भीलवाड़ा: जिले की शाहपुरा पंचायत समिति के ग्राम पंचायत क्षेत्र बोरड़ा बावरियान में स्थित आरक्षित वन क्षेत्र से तीन दिन में लगभग 500 क्विंटल लकड़ी गायब होने का मामला सामने आया है। करीब 674 बीघा में फैले इस क्षेत्र में अज्ञात लोगों ने जेसीबी मशीन से पेड़ों की अवैध कटाई की और बड़ी मात्रा में लकड़ी ले गए।
ग्रामीणों को जब इस मामले का पता चला, तो उन्होंने मौके पर जाकर कड़ी आपत्ति जताई। विरोध बढ़ते देख कटाई करने वाले लोग जेसीबी लेकर वहां से भाग निकले। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने क्षेत्र की लकड़ी को किसी भी कीमत पर बाहर नहीं जाने देंगे।
एफआईआर दर्ज, लेकिन विभाग की स्थिति उलझी हुई
वन विभाग के पहरेदारों ने मौके पर रिपोर्ट तैयार कर एक व्यक्ति के खिलाफ वन अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की है। हालांकि, जिला अधिकारियों की राय इससे भिन्न बताई जा रही है। विभाग अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया कि कटाई किसने, किस आदेश पर और किस अनुमति से की।
वन अधिकारी मौके पर पहुंचे, निविदा पर उठे सवाल
जिला वन अधिकारी के निर्देश पर मांडलगढ़ की उपजिला वन अधिकारी पायल माथुर और शाहपुरा के रेंजर मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि केंद्र सरकार की ओर से इस क्षेत्र के लिए ऑनलाइन निविदा जारी की गई थी, और संभवतः ठेकेदार उसी के आधार पर काम कर रहे थे। लेकिन जब ग्रामीणों ने निविदा और कार्य आदेश की प्रति मांगी, तो विभाग कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका।
ग्रामीणों ने उठाए गंभीर सवाल
- अगर यह वैध ठेका था, तो ग्रामवासियों को सूचना क्यों नहीं दी गई?
- विभागीय कर्मचारियों को जानकारी क्यों नहीं थी?
- कटाई रात के समय और गुप्त तरीके से क्यों की जा रही थी?
ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले दो दिनों से देर रात तक जेसीबी से बबूल के पेड़ों की कटाई चल रही थी, जो स्पष्ट रूप से अवैध गतिविधि है। उनका कहना है कि वन विभाग की जानकारी और मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी कटाई असंभव थी।
ग्रामीणों की मांग:
- पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो।
- अवैध कटाई में शामिल सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- कटाई के अनुपात में पौधारोपण किया जाए।
- विभागीय अधिकारियों की भूमिका की गहन जांच कराई जाए।
भीलवाड़ा में यह मामला वन संरक्षण और विभागीय जवाबदेही पर नए सवाल खड़े करता है, और ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है।