Tuesday, November 18

MP से उड़ान भरकर भारत लौट आया गिद्ध ‘मारीच’, 15,000 किलोमीटर की लंबी यात्रा पूरी

भोपाल: यूरेशियन ग्रिफिन गिद्ध ‘मारीच’ ने लगभग 15,000 किलोमीटर की लंबी यात्रा पूरी कर सुरक्षित भारत लौट आया है। इस गिद्ध ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कज़ाकिस्तान से होते हुए राजस्थान के धौलपुर में वापसी की। मारीच की यह उड़ान वैज्ञानिकों के लिए गिद्धों के प्रवास और संरक्षण के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

घायल गिद्ध की वापसी

29 जनवरी को सतना जिले के नागौद गांव में घायल अवस्था में पाए गए मारीच का प्रथम उपचार मुकुंदपुर चिड़ियाघर में किया गया और बाद में भोपाल के वन विहार बचाव केंद्र में उसकी देखभाल की गई। दो महीने की देखभाल के बाद 29 मार्च को हलाली डेम से मारीच को जियो-टैग लगाकर छोड़ा गया।

लंबी यात्रा और प्रवास

मारीच मई के पहले सप्ताह में कज़ाकिस्तान पहुंचा और लगभग चार महीने वहीं रहा। 23 सितंबर को भारत की ओर उड़ान भरी और 16 अक्टूबर को राजस्थान में प्रवेश किया। वर्तमान में यह धौलपुर के दमोह झरना क्षेत्र में देखा गया।

गिद्धों के संरक्षण में मारीच का महत्व

डीएफओ हेमंत यादव के अनुसार, मारीच की ट्रैकिंग से गिद्धों के प्रवास के पैटर्न और संरक्षण के तरीके समझने में मदद मिली है। गिद्ध प्रकृति के सफाईकर्मी हैं, जो मरे हुए जानवरों को खाकर बीमारियों के फैलाव को रोकते हैं और पोषक तत्वों को पुनः उपयोग में लाने में मदद करते हैं। इससे मिट्टी और पानी की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।

यूरेशियन ग्रिफिन गिद्ध की विशेषताएं

यूरेशियन ग्रिफिन गिद्ध यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया के पहाड़ी और सूखे क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी लंबाई 95 से 110 सेंटीमीटर, पंख फैलाव 2.5 से 2.8 मीटर और वजन 6 से 11 किलो तक हो सकता है। इसे गर्दन पर सफेद पंखों की माला और भूरे शरीर के पंखों से पहचाना जाता है। यह गर्म हवा की धाराओं का उपयोग कर घंटों तक उड़ सकता है और मुख्य रूप से मरे हुए जानवरों पर निर्भर रहता है।

मारीच की इस लंबी यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गिद्ध लंबी दूरी की प्रवासी प्रजाति हैं और इनके संरक्षण के लिए सतत प्रयासों की आवश्यकता है।

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