Monday, November 17

बिहार में विपक्ष की करारी हार के बाद महाराष्ट्र में बढ़ी ‘घर वापसी’ की चर्चा

शिंदे और अजित पवार की वापसी के संकेत? शिवसेना–एनसीपी की मूल धारा फिर मजबूत होने की संभावना

बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष को मिली बुरी हार ने देशभर की राजनीतिक हवा बदल दी है। बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद अब महाराष्ट्र की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। माना जा रहा है कि यहाँ भी तमाम बागी नेता और धड़े पुनः अपने मूल दलों—शिवसेना और एनसीपी—की ओर लौट सकते हैं।

चाचा–भतीजा गठबंधन की बात ने बढ़ाई चर्चा

सूत्रों के अनुसार, एनसीपी की दो फाड़—अजित पवार और शरद पवार गुट—के बीच अब चुनावी समन्वय की संभावना जताई जा रही है। यह संकेत राजनीतिक गलियारों में इस रूप में लिया जा रहा है कि अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के साथ ‘घर वापसी’ कर सकते हैं।

शिंदे सरकार में गिरती लोकप्रियता और बढ़ती बेचैनी

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार लगातार आलोचना का शिकार हो रही है। मंत्रियों में मतभेद, प्रशासनिक निर्णयों को लेकर असमंजस और शिंदे शिवसेना की कमजोर पकड़ जैसे कारणों से यह चर्चा आम है कि—
क्या एकनाथ शिंदे भी ठाकरे परिवार की ‘मुख्य शिवसेना’ में वापसी कर सकते हैं?

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के हाल ही में एक मंच साझा करने के बाद इन अटकलों को और हवा मिल गई है। महाराष्ट्र की राजनीति में यह घटना एक बड़ा संकेत मानी जा रही है।

कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी एनसीपी–शिवसेना का प्रभाव

हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में विधानसभा और लोकसभा सीटों पर भाजपा का दबदबा रहा है, लेकिन महाराष्ट्र के ग्रामीण—विशेषकर मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र—में आज भी शरद पवार की एनसीपी और ठाकरे की शिवसेना का प्रभाव मजबूत माना जाता है।

यही वजह है कि दोनों दलों से टूटकर बने धड़े—अजित पवार एनसीपी और शिंदे शिवसेना—लगातार जमीन खोते दिखाई दे रहे हैं।

बिहार जैसा कांग्रेस का पतन महाराष्ट्र में भी!

बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन लगभग शून्य पर सिमट गया। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि महाराष्ट्र में भी हाल के निकाय चुनावों में कांग्रेस वैसा ही कमजोर प्रदर्शन करती दिख रही है।

भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए ने बिहार में महाअधिकांश सीटें जीतकर विपक्ष को लगभग समाप्त कर दिया है। यह प्रभाव महाराष्ट्र में भी विपक्षी गठबंधनों को कमजोर कर रहा है।

क्या शिंदे और अजित पवार दोबारा मूल दलों में मिलेंगे?

बिहार में जैसे राजनीतिक नाव से कई नेता कूदकर नए समीकरण बना रहे हैं, उसी तरह महाराष्ट्र में भी बड़ा सवाल यह है कि—
क्या आठ वर्ष बाद होने वाले निकाय चुनावों से पहले शिंदे और अजित पवार अपने-अपने मूल दलों में लौटेंगे?

महाराष्ट्र की राजनीति में समीकरण किसी भी वक्त बदल सकते हैं। यहाँ ‘ऊँट कब किस करवट बैठ जाए’—यह कोई नहीं कह सकता।

दो दिग्गज—दो कहानियाँ

  • अमित शाह, भाजपा के ‘चाणक्य’, महाराष्ट्र में किसी भी समय नया राजनीतिक अध्याय लिख सकते हैं।
  • शरद पवार, विपक्ष के सबसे अनुभवी नेता, भी हर पल राज्य की राजनीति में भूचाल लाने की तैयारी में रहते हैं। यदि नया समीकरण बनता है, तो उसका ताज पवार के सिर पर हो सकता है।

2 दिसंबर को नगर निकाय मतदान—4 दिसंबर को नतीजे

महाराष्ट्र में इस बार का निकाय चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है।

  • वोटिंग : 2 दिसंबर (रविवार)
  • परिणाम : 4 दिसंबर (मंगलवार)

इन परिणामों से यह साफ हो जाएगा कि महाराष्ट्र की जनता किस दल पर विश्वास जताती है और किस दल को नवजीवन प्रदान करती है।

Leave a Reply