
मुंबई/पुणे: पत्नी को मेंटेनेंस देने से बचने के लिए अपनी वास्तविक आय छुपाना एक पति को बेहद महंगा पड़ गया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने न केवल उसकी दलीलें खारिज कर दीं, बल्कि पत्नी के गुजारा भत्ते को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर सीधे 3.5 लाख रुपये प्रति माह कर दिया। यानी मेंटेनेंस की रकम 7 गुना बढ़ गई।
न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पति ने आय के बारे में सही जानकारी नहीं दी और मेंटेनेंस भुगतान को लेकर उसका रिकॉर्ड भी खराब रहा है। अदालत ने आदेश दिया कि वह आने वाले चार हफ्तों में एक साल का बकाया मेंटेनेंस एकमुश्त भुगतान करे।
16 साल चली शादी, फिर शुरू हुआ विवाद
- दंपती का विवाह नवंबर 1997 में हुआ था।
- पत्नी मुंबई की रहने वाली थीं और विवाह के बाद पुणे में पति के परिवार के साथ रहीं।
- लगभग 16 साल तक साथ रहने के बाद 2013 में दोनों अलग हो गए।
- 2015 में पति ने पुणे फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी।
फरवरी 2023 में फैमिली कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर तलाक मंजूर करते हुए पति को पत्नी को प्रति माह 50 हजार रुपये मेंटेनेंस देने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट पहुंचते ही पलटी स्थिति
- पत्नी ने फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
- साथ ही मेंटेनेंस बढ़ाने की मांग की।
- पति ने 50 हजार रुपये देने में असमर्थता जताते हुए अपने दायित्व से मुक्ति की अपील की।
लेकिन कोर्ट को पति का रवैया पसंद नहीं आया।
1083 करोड़ के कारोबार का खुलासा
पत्नी द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत दस्तावेजों में यह सामने आया कि—
- पति और उसके परिवार का निर्माण व्यवसाय 1083 करोड़ रुपये का है।
- पति कई फर्मों का पार्टनर है।
- उसके पास बड़ा लैंड बैंक है।
कोर्ट ने कहा कि पति ने ईमानदार और पारदर्शी तरीके से अपनी आमदनी का खुलासा नहीं किया, और वह मेंटेनेंस भुगतान में डिफॉल्टर भी रहा है।
क्यों बढ़ाया गया मेंटेनेंस?
हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस में वृद्धि के पीछे ये कारण बताए—
- पत्नी को खुद और वयस्क हो चुकी बेटी की जरूरतों को पूरा करने में कठिनाई।
- पत्नी निजी ट्यूटर का काम कर किसी तरह गुजारा कर रही है।
- बढ़ती महंगाई में अकेले संसाधन जुटाना संभव नहीं।
- बेटी की उच्च शिक्षा और भविष्य को ध्यान में रखना आवश्यक है।
इसी आधार पर मेंटेनेंस को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹3,50,000 प्रतिमाह कर दिया गया।