Thursday, November 13

बिहार चुनाव 2025: औरंगाबाद में सियासी ‘कोहराम’ की आहट — 6 सीटों पर उलटफेर के संकेत, एनडीए-महागठबंधन में कांटे की टक्कर!

औरंगाबाद (बिहार):
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण के मतदान के बाद अब नतीजों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। एग्जिट पोल्स ने जहां राज्य में एनडीए की वापसी की भविष्यवाणी की है, वहीं औरंगाबाद जिला इस बार राजनीतिक भूकंप का केंद्र बनता दिख रहा है। जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों — गोह, ओबरा, नबीनगर, कुटुम्बा (एससी), औरंगाबाद और रफीगंज — पर मुकाबला इतना पेचीदा है कि परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं।

2020 में महागठबंधन ने सभी छह सीटें जीतकर एनडीए का सूपड़ा साफ कर दिया था, लेकिन इस बार तस्वीर उलटती दिख रही है। बदलते जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दों और महिला मतदाताओं की बड़ी भागीदारी ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।

🔹 गोह विधानसभा सीट: बीजेपी की मजबूत चुनौती, आरजेडी की टक्कर

2020 में आरजेडी के भीम कुमार ने यह सीट जीती थी, लेकिन इस बार पार्टी ने अमरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है। वहीं बीजेपी ने डॉ. रणविजय कुमार पर दांव लगाया है।

  • स्थानीय समीकरण: यादव-मुस्लिम-कुशवाहा बनाम ईबीसी और महिला वोटर
  • स्थिति: कांटे की टक्कर, 5 हजार से कम मतों से नतीजा तय हो सकता है।
  • संभावना: महिला वोटिंग (69%) और युवा मतदाताओं का रुझान बीजेपी के पक्ष में गया तो सीट पलट सकती है।

🔹 ओबरा विधानसभा सीट: आरजेडी का गढ़, लेकिन एनडीए की सेंधमारी

आरजेडी के ऋषि यादव के सामने एनडीए समर्थित एलजेपी (रामविलास) प्रत्याशी डॉ. प्रकाश चंद्रा मैदान में हैं।

  • जनसुराज और बसपा प्रत्याशियों के उतरने से वोट बिखरे हैं।
  • नीतीश कुमार की महिला कल्याण योजनाओं का असर स्पष्ट दिख रहा है।
  • संभावना: आरजेडी आगे लेकिन एनडीए क्लोज फाइट में सरप्राइज दे सकता है।

🔹 नबीनगर विधानसभा सीट: जेडीयू बनाम आरजेडी — शाही मुकाबला

यहां जेडीयू ने चेतन आनंद (आनंद मोहन व लवली आनंद के बेटे) को उम्मीदवार बनाया है, जबकि आरजेडी ने नए चेहरे अमोद चंद्रवंशी पर भरोसा जताया है।

  • राजपूत वोट बैंक में चेतन आनंद की पकड़ मजबूत दिख रही है।
  • महिला मतदान (67%) नीतीश के पक्ष में झुकाव दर्शा रहा है।
  • संभावना: जेडीयू आगे, लेकिन यादव-मुस्लिम वोटों के एकजुट होने पर महागठबंधन पलटवार कर सकता है।

🔹 कुटुम्बा (एससी) सीट: कांग्रेस बनाम ‘हम’ पार्टी — दलित वोटों का दंगल

यह आरक्षित सीट कांग्रेस नेता राजेश कुमार (राजेश राम) के कब्जे में है। एनडीए ने ललन राम (हम पार्टी) को उतारा है।

  • दलित वोटों में बिखराव से एनडीए को फायदा मिल सकता है।
  • संभावना: कांग्रेस आगे, पर थोड़े वोटों का स्विंग एनडीए को जीत दिला सकता है।

🔹 औरंगाबाद सीट: बीजेपी की वापसी की उम्मीद, कांग्रेस से कड़ा मुकाबला

कभी बीजेपी का गढ़ रही यह सीट पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह के पास है।

  • बीजेपी के त्रिविक्रम नारायण सिंह इस बार युवा और उच्च जाति वोटरों पर भरोसा कर रहे हैं।
  • संभावना: एग्जिट पोल्स में एनडीए को बढ़त, लेकिन मार्जिन बेहद कम हो सकता है।

🔹 रफीगंज सीट: आरजेडी की पकड़ बनाम एनडीए की कोशिश

2020 में आरजेडी के मोहम्मद नेहालुद्दीन ने जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी ने डॉ. गुलाम शाहिद को टिकट दिया है, जबकि एनडीए ने जेडीयू के प्रमोद कुमार सिंह को मैदान में उतारा।

  • उच्च मतदान प्रतिशत (68.94%) बदलाव का संकेत दे रहा है।
  • संभावना: महागठबंधन बढ़त में, लेकिन एनडीए अप्रत्याशित सरप्राइज दे सकता है।

🔸 जिले का राजनीतिक परिदृश्य

औरंगाबाद में इस बार न सिर्फ जातीय समीकरण, बल्कि महिला और युवा मतदाताओं की भूमिका निर्णायक रहेगी। हर सीट पर मुकाबला क्लोज फाइट का है।
एग्जिट पोल्स जहां एनडीए को 140–155 सीटें दे रहे हैं, वहीं औरंगाबाद की कई सीटों पर कोहराम मचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

“यह रिपोर्ट वोटरों के रुझान, स्थानीय समीकरण और एग्जिट पोल्स के अनुमानों पर आधारित है। वास्तविक तस्वीर 14 नवंबर को मतगणना के बाद स्पष्ट होगी।”

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