
फरीदाबाद। दिल्ली ब्लास्ट केस में दो डॉक्टरों के नाम सामने आने के बाद चर्चा में आई अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने इस पूरे मामले पर आधिकारिक बयान जारी किया है।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. भूपिंदर कौर आनंद ने मीडिया के समक्ष स्पष्ट किया कि संस्थान का इन दोनों डॉक्टरों से कोई भी संबंध नहीं है, और जो भी खबरें विश्वविद्यालय से जोड़कर फैलाई जा रही हैं, वे पूर्णतः भ्रामक और निराधार हैं।
🎓 विश्वविद्यालय ने सभी आरोपों को किया खारिज
कुलपति ने कहा,
“अल-फलाह विश्वविद्यालय और इससे जुड़े संस्थानों का उन दो डॉक्टरों से कोई लेना-देना नहीं है जिन्हें जांच एजेंसियों ने हिरासत में लिया है। हमारा संस्थान वर्ष 1997 से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत है और 2014 में विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हुआ। यह यूजीसी अधिनियम की धारा 2(एफ) और 12(बी) के तहत मान्यता प्राप्त है।”
उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय 2019 से एमबीबीएस कोर्स चला रहा है और इसके पूर्व छात्र देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं।
🚫 “झूठी और भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं”
कुलपति प्रो. आनंद ने आरोप लगाया कि कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जानबूझकर विश्वविद्यालय की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
“कैंपस में किसी भी प्रकार का विस्फोटक या रासायनिक पदार्थ नहीं रखा गया है। हमारी सभी प्रयोगशालाएं केवल शैक्षणिक और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए हैं,” उन्होंने कहा।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी कहा कि वह कानून और सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करता है और किसी भी असत्य प्रचार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
💬 “घटनाक्रम से व्यथित हैं, लेकिन हमारा इससे कोई संबंध नहीं”
कुलपति ने कहा,
“हम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम से बेहद दुखी और व्यथित हैं। हमारी संवेदनाएँ और प्रार्थनाएँ उन सभी निर्दोष लोगों के साथ हैं जो इस घटना से प्रभावित हुए हैं। परंतु हमारा संस्थान हमेशा कानूनी, नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का पालन करता आया है।”
📢 प्रशासन की अपील
विश्वविद्यालय प्रशासन ने आम जनता और मीडिया संस्थानों से अपील की है कि वे अफवाहों या अपुष्ट खबरों पर विश्वास न करें और केवल विश्वविद्यालय के आधिकारिक बयानों पर भरोसा करें।
“हमारा उद्देश्य शिक्षा, शोध और समाज सेवा के माध्यम से देश को आगे बढ़ाना है। इस तरह की झूठी खबरें न केवल संस्थान की साख को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि हजारों छात्रों और अभिभावकों की भावनाओं को भी आहत करती हैं,” — कुलपति डॉ. आनंद ने कहा।