
इंदौर, 19 अप्रैल 2025 | एस.डी. न्यूज़ एजेंसी
एक समय कोमलता, संवेदनशीलता और ममता की प्रतीक मानी जाने वाली नारी आज कहीं-कहीं क्रोध, आक्रोश और रंगदारी की मिसाल बनती दिखाई दे रही है। इंदौर में सामने आए हालिया घटनाक्रम ने एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारी नई पीढ़ी सामाजिक मर्यादाओं से भटक रही है?
शहर के एक इलाके में कुछ लड़कियों द्वारा एक अन्य लड़की की खुलेआम लात-घूंसे से पिटाई करने का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ़ दिखाई दे रहा है कि कुछ नवयुवतियां मिलकर एक लड़की को बेरहमी से मार रही हैं। इस घटना को तमाशबीन लोग बस कैमरे में कैद करते रहे, कोई बीच-बचाव करने आगे नहीं आया।
लेखक एवं वक्ता प्रो. (डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड़ ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा –
“कभी जनानी कोमलता का प्रतिबिंब होती थी, आज उसकी हरकतें मां-बाप को भी हैरान कर रही हैं। पहले जहां मारपीट पुरुषों से जुड़ी घटनाओं में देखी जाती थी, अब महिलाएं भी कदम-कदम पर मर्दानगी दिखा रही हैं।”
उन्होंने आगे कहा –
“मारपीट का नया चलन समाज में संस्कारों की कमी का संकेत है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब गालियों, हाथापाई और बदसलूकी के वीडियो आम हो चले हैं। नारी शक्ति की असल परिभाषा झांसी की रानी और दुर्गा जैसी वीरांगनाओं में है, जो अन्याय के विरुद्ध खड़ी होती हैं, न कि अपनी सहेलियों पर रंगदारी जमाने में।”
डॉ. पलोड़ ने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा –
“यदि तुम सच में सबला बनना चाहती हो, तो उन गुंडों को सबक सिखाओ जो छेड़खानी करते हैं, फब्तियां कसते हैं या लव जिहाद जैसे मामलों में लिप्त हैं। मगर सहेलियों या कमजोरों पर अपनी झांकी मत जमाओ। न्याय और पराक्रम वहीं दिखाओ जहां उसका असली इस्तेमाल हो।”
उन्होंने यह भी कहा कि समाज महिलाओं की प्रगति और सम्मान के लिए तत्पर है, लेकिन ऐसी घटनाएं महिलाओं की गरिमा और सामाजिक छवि को ठेस पहुंचाती हैं। शक्ति और भक्ति का संतुलन बनाकर ही महिला सशक्तिकरण का सही मार्ग प्रशस्त होगा।
– प्रो. (डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड़
लेखक, कवि एवं वक्ता
अंतिम युद्ध – एस.डी. न्यूज़ एजेंसी
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