
झारखंड के पलामू जिले के लेसलीगंज थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहाँ एक बेटे और उसके भतीजे ने अंधविश्वास और जादू-टोना के शक में अपने ही पिता 65 वर्षीय पचू मोची की हत्या करा दी। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
छोटी चोरी से शुरू हुई घटना
पुलिस जांच में सामने आया कि कुछ समय पहले पचू मोची के घर से कुछ पैसे गायब हो गए थे। गुस्से में उन्होंने अपने घर के कुलदेवता की तस्वीर को आंगन में फेंक कर तोड़ दिया। इसी के बाद उनके भतीजे धनंजय रविदास के घर में उसकी मां और भाई की मौत हो गई और परिवार के अन्य सदस्य अक्सर बीमार रहने लगे।
अंधविश्वास में साजिश
बेटे बबलू मोची और भतीजे धनंजय रविदास ने यह मान लिया कि पचू मोची ‘ओझा-गुनी’ का काम करते हैं और उन्होंने ही परिवार पर विपत्ति लाई है। इस शक में उन्होंने अपने पिता को हटाने की योजना बनाई।
हत्या का ‘सौदा’ तय, पैसे देकर कराया अपराध
हत्या के लिए योजना बेहद पेशेवर तरीके से बनाई गई। बबलू मोची ने धनंजय को 7,000 रुपये भेजे, जिसे मिलाकर धनंजय ने कुल 10,100 रुपये अपने साले सत्येंद्र कुमार को एडवांस के तौर पर दिए। पूरी हत्या का सौदा 40,000 रुपये में तय हुआ।
सत्येंद्र ने अपने साले मुनेश्वर कुमार और दो साथियों के साथ मोटरसाइकिल से डबरा जंगल पहुंचकर 22 दिसंबर को पचू मोची का गला रेतकर हत्या कर दी।
हत्या का राज कैसे खुला
24 दिसंबर को डबरा जंगल में एक अज्ञात शव मिलने से सनसनी फैल गई। जब शिनाख्त पचू मोची के रूप में हुई, तो पुलिस को शक हुआ क्योंकि परिवार ने 22 तारीख से गायब होने की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी। पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की, जिसमें बयानों में विरोधाभास पाया गया। अंततः आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। हत्या में प्रयुक्त खून से सना चाकू भी बरामद हुआ।
यह मामला रिश्तों की मर्यादा और अंधविश्वास की हदों पर गहरा सवाल खड़ा करता है।