
बेंगलुरु: लोगों का बैंकों पर भरोसा अटूट होता है, लेकिन जब बैंक का ही अधिकारी धोखाधड़ी करे तो भरोसे की नींव हिल जाती है। बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित केनरा बैंक की शाखा में ऐसा ही मामला सामने आया है। बैंक के सीनियर मैनेजर रघु पर आरोप है कि उसने 21 ग्राहकों के नाम पर ₹3 करोड़ से अधिक का लोन लेकर फरार हो गया।
घोटाले की पूरी कहानी
रघु ने ग्राहकों का भरोसा जीतने के बाद खुद को पारिवारिक और आर्थिक मुश्किलों में फंसा हुआ बताया। उसने कहा कि वह कुछ पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहा है और अपने नाम पर लोन लेने में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। इसलिए उसने ग्राहकों से अपने नाम पर लोन लेने के लिए दस्तखत दिलवाए।
रघु ने सोने को गिरवी रखने का बहाना बनाकर ग्राहकों को भरोसा दिलाया।
उन्होंने बिना कोई संपत्ति गिरवी रखे लोन पास करवाए और पैसे हड़प लिए।
ग्राहकों को यह भरोसा दिलाने के लिए वह लगातार गिड़गिड़ाते हुए कहते रहे, “मैं घर पर बहुत मुश्किलों में हूं, कृपया मेरी मदद करें।”
ऑडिट में खुला सच
बैंक की आंतरिक ऑडिट और लोन की किस्तों की अदायगी में गड़बड़ी के बाद यह धोखाधड़ी सामने आई। जांच तेज होने और पकड़े जाने के खतरे के कारण रघु कथित तौर पर फरार हो गया।
पुलिस की कार्रवाई
बैंक प्रबंधन ने मल्लेश्वरम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस अब फरार मैनेजर को पकड़ने और गबन किए गए ₹3 करोड़ की वसूली के लिए तलाशी अभियान चला रही है।
सार्वजनिक चिंता
इस घटना ने बैंकों में जवाबदेही और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब जमा राशि की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले अधिकारी ही अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं, तो ग्राहकों का भरोसा कैसे बना रहेगा।