
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे विदेशी वर्कर्स और पढ़ाई कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए बड़ी चिंता की खबर है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा प्रोग्राम के सेलेक्शन सिस्टम में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब तक लॉटरी के जरिए मिलने वाला H-1B वीजा आगे चलकर सैलरी और स्किल के आधार पर दिया जाएगा। इस फैसले का सबसे ज्यादा असर अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्रों, खासकर भारतीय स्टूडेंट्स पर पड़ने की आशंका है।
अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने स्पष्ट किया है कि यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के जरिए H-1B वीजा सेलेक्शन की प्रक्रिया बदली जा रही है। नए नियम 27 फरवरी 2026 से लागू होंगे।
क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा अमेरिका में टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, फाइनेंस, एजुकेशन जैसे क्षेत्रों में विदेशी प्रोफेशनल्स की भर्ती के लिए दिया जाता है। हर साल
65 हजार वीजा सामान्य श्रेणी में
20 हजार वीजा अमेरिकी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री लेने वाले छात्रों के लिए
जारी किए जाते हैं। यह वीजा 3 साल के लिए वैध होता है, जिसे आगे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
लॉटरी सिस्टम खत्म होने से क्यों बढ़ी स्टूडेंट्स की परेशानी?
अमेरिका में इस समय 3 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या की उम्मीद पढ़ाई पूरी करने के बाद H-1B वीजा पर नौकरी पाने की होती है। लेकिन नए नियमों के तहत वीजा देने में ज्यादा सैलरी और ज्यादा स्किल वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसका सीधा मतलब यह है कि
एंट्री-लेवल जॉब करने वाले नए ग्रेजुएट्स
कम सैलरी पाने वाले स्टूडेंट्स
को H-1B वीजा मिलना पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
सैलरी लेवल के आधार पर बदलेगा चयन
नए सिस्टम में H-1B वीजा के लिए सैलरी को चार लेवल (Level 1 से Level 4) में बांटा गया है।
लेवल 4 (सबसे ज्यादा सैलरी) वाले उम्मीदवार को चयन में चार मौके
लेवल 3 को तीन
लेवल 2 को दो
लेवल 1 को सिर्फ एक मौका मिलेगा
नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) के अनुसार,
लेवल 4 उम्मीदवारों के सेलेक्शन की संभावना 107% तक बढ़ जाएगी,
जबकि लेवल 1 उम्मीदवारों की संभावना 48% तक घट सकती है।
स्टूडेंट्स पर दोहरी मार
विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियमों के बाद कंपनियां
कम सैलरी वाले फ्रेशर्स को जॉब देने से बचेंगी
और जिन कंपनियों में मौका मिलेगा, वहां प्रतिस्पर्धा बेहद कड़ी होगी
इससे अमेरिकी यूनिवर्सिटीज से पढ़ाई कर रहे विदेशी छात्रों के लिए जॉब और वीजा—दोनों पाना बड़ी चुनौती बन सकता है।