
नई दिल्ली।
जहां लाखों युवा इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद भी रोजगार के लिए भटक रहे हैं, वहीं ओडिशा के मयूरभंज जिले से निकले एक युवा इंजीनियर ने इस समस्या को अवसर में बदल दिया। महज ₹30,000 की पूंजी, साइकिल से रोज़ाना 10 किलोमीटर की यात्रा और अटूट संकल्प के बल पर हिमांशु शेखर पंडा ने ऐसा एडटेक स्टार्टअप खड़ा किया, जो आज ₹10 करोड़ के सालाना टर्नओवर तक पहुंच चुका है।
अच्छी नौकरी छोड़ उद्यमिता का जोखिम
हिमांशु शेखर पंडा एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। पिता सरकारी सेवा में रहे और मां शिक्षिका हैं। पढ़ाई में मेधावी हिमांशु को कॉलेज के बाद एक प्रतिष्ठित कंपनी में 7–8 लाख रुपये सालाना पैकेज की नौकरी मिली।
लेकिन उनका मन हमेशा युवाओं को मेंटॉरिंग और स्किल ट्रेनिंग देने में लगा रहता था। यही जुनून उन्हें कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ने की ओर ले गया।
नौकरी कॉन्ट्रैक्ट पर थी, जिसे तोड़ने के लिए उन्हें ₹3 लाख का भुगतान करना पड़ा। आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने बाइक छोड़ साइकिल अपनाई और हर दिन 10 किलोमीटर साइकिल चलाकर खर्च कम किया।
2018 में रखी नींव, नाम बना पहचान
साल 2018 में हिमांशु ने सिर्फ ₹30,000–40,000 की बचत से ‘स्काय राइडर इंस्टीट्यूशंस’ की शुरुआत की, जो आगे चलकर स्काय स्किल एकेडमी (Skyy Skill Academy) के नाम से जानी गई।
उनका उद्देश्य साफ था—
डिग्री नहीं, हुनर।
सर्टिफिकेट नहीं, रोजगार।
आपदाओं से भी नहीं टूटा हौसला
हिमांशु का सफर आसान नहीं रहा।
2019 के ‘फानी’ चक्रवात में संस्थान का करीब ₹10 लाख का नुकसान हुआ
कोरोना महामारी में ऑफलाइन ट्रेनिंग पूरी तरह बंद हो गई
इसके बावजूद हिमांशु ने न तो हार मानी और न ही अपनी टीम को छोड़ा। उन्होंने 18 कर्मचारियों का वेतन अपनी निजी बचत से दिया और तेजी से रणनीति बदलते हुए लाइव ऑनलाइन क्लासेस शुरू कीं।
यही फैसला कंपनी के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ और इसकी पहुंच पूरे देश में फैल गई।
लाइव ट्रेनिंग मॉडल ने बदली तस्वीर
हिमांशु ने समझ लिया था कि केवल रिकॉर्डेड वीडियो से स्किल डेवलप नहीं होती। इसलिए उन्होंने
लाइव ऑनलाइन क्लासेस
हाइब्रिड मॉडल
फुल-टाइम ऑफलाइन ट्रेनिंग
का अनूठा संयोजन तैयार किया।
यहां छात्र EV बैटरी, रोबोटिक्स, सोलर और AI टूल्स पर सीधे काम करते हैं।
कोर्स फीस ₹2,000 से ₹1.5 लाख तक रखी गई, ताकि हर वर्ग का छात्र सीख सके।
प्लेसमेंट बना सबसे बड़ा भरोसा
आज स्काय स्किल एकेडमी से प्रशिक्षित छात्र
ओला इलेक्ट्रिक, टाटा टेक्नोलॉजीज जैसी दिग्गज कंपनियों में काम कर रहे हैं।
अब तक
2 लाख से अधिक छात्र प्रशिक्षित
देशभर में 60 से ज्यादा ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’
बिना किसी बाहरी निवेशक के ₹10 करोड़ सालाना रेवेन्यू
अगला लक्ष्य: स्किल यूनिवर्सिटी
हिमांशु शेखर पंडा का लक्ष्य 2025 तक ₹25 करोड़ का टर्नओवर हासिल करना है। साथ ही वे एक डेडिकेटेड ‘स्किल यूनिवर्सिटी’ स्थापित करना चाहते हैं, जहां कंपनियां खुद आकर छात्रों को उनके हुनर के आधार पर नौकरी दें।
हिमांशु कहते हैं—
“भारत का हर युवा नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि जॉब-रेडी होना चाहिए।”