Wednesday, December 24

‘जब जे. राम जी पर बुलडोज़र चल रहा था, तब राहुल गांधी कहां थे?’ — CPM सांसद जॉन ब्रिटास के तीखे सवाल

 

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नई दिल्ली।

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी की गैरमौजूदगी को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो गई है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के सांसद जॉन ब्रिटास ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और खासतौर पर राहुल गांधी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि जब संसद में जनविरोधी विधेयकों पर बहस हो रही थी और देश के अहम मुद्दों पर कार्रवाई हो रही थी, तब राहुल गांधी संसद से अनुपस्थित थे।

 

प्रियंका गांधी की ‘चाय पर चर्चा’ पर भी आपत्ति

 

सीपीएम सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला द्वारा आयोजित चाय पार्टी में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की मौजूदगी पर भी कड़ा ऐतराज जताया। ब्रिटास ने कहा कि शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद इस चाय पार्टी में शामिल होना जनता के बीच गलत संदेश देता है, खासकर तब जब कुछ ही घंटे पहले केंद्र सरकार ने मनरेगा (MGNREGA) जैसे अहम कानून को कमजोर करने का कदम उठाया।

 

‘हम ऐसी चाय पार्टियों से हमेशा दूर रहे’

 

न्यूज एजेंसी से बातचीत में जॉन ब्रिटास ने कहा,

“प्रियंका गांधी और अन्य नेताओं को प्रधानमंत्री के साथ चाय पीते देखना हमारे लिए चिंता का विषय है। यह एक अजीब और दुखद दृश्य था। हमने हमेशा ऐसे कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी है, भले ही मुद्दा छोटा क्यों न रहा हो।”

 

विपक्ष ने पहले भी जताया था विरोध

 

ब्रिटास ने याद दिलाया कि विपक्ष ने इससे पहले भी सरकार के रवैये के विरोध में ऐसी बैठकों का बहिष्कार किया था।

उन्होंने कहा कि पिछले मॉनसून सत्र में SIR मुद्दे पर चर्चा से इनकार किए जाने के कारण विपक्ष ने चाय पार्टी से दूरी बनाई थी। इसके अलावा, वक्फ बिल को जबरन पारित किए जाने के दौरान भी विपक्ष ने ऐसे आयोजनों में हिस्सा नहीं लिया था।

 

‘देश की जनता को गया गलत संदेश’

 

सीपीएम सांसद ने कहा कि इस बार का मामला और भी गंभीर है।

“प्रियंका गांधी का प्रधानमंत्री के साथ चाय पीना सिर्फ एक राजनीतिक तस्वीर नहीं है, बल्कि इससे देश की जनता को गलत संदेश गया है। यह विपक्ष की एकता और गरीबों के हितों के लिए नुकसानदायक है।”

 

राहुल गांधी की गैरहाज़िरी पर सवाल

 

ब्रिटास ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी की विदेश यात्रा पर भी सवाल उठाए।

उन्होंने कहा,

“जब संसद का सत्र चल रहा हो और तीन जनविरोधी विधेयक पेश किए जा रहे हों, तब राहुल गांधी को संसद में मौजूद रहना चाहिए था। विदेश यात्रा क्यों ज़रूरी थी, यह उन्हें और उनकी पार्टी को तय करना है, लेकिन विपक्ष के हिस्से के तौर पर उनकी मौजूदगी अपेक्षित थी।”

 

 

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