Wednesday, December 24

गाजा में पाकिस्तानी सैनिकों की तैनाती पर बवाल, असीम मुनीर को मौलानाओं की कड़ी चेतावनी

 

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इस्लामाबाद/कराची।

गाजा को लेकर पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर की कथित योजना ने देश के भीतर तीखा राजनीतिक और धार्मिक तूफान खड़ा कर दिया है। रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान अमेरिका समर्थित योजना के तहत गाजा में करीब 3500 पाकिस्तानी सैनिकों की तैनाती पर विचार कर रहा है। इन सैनिकों को प्रस्तावित इंटरनेशनल स्टेबिलाइजेशन फोर्स (ISF) का हिस्सा बनाकर फिलिस्तीनी संगठन हमास के निरस्त्रीकरण में भूमिका देने की बात कही जा रही है।

 

इस योजना के सामने आते ही पाकिस्तान के धार्मिक नेताओं और राजनीतिक दलों में भारी नाराजगी फैल गई है। कराची में हुई एक अहम बैठक में देश के शीर्ष इस्लामिक विद्वानों और धार्मिक-राजनीतिक दलों ने इसे “मुस्लिम उम्मा के साथ धोखा” करार दिया और सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी दी।

 

मौलानाओं का एकजुट विरोध

 

सोमवार को कराची में प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान मुफ्ती तकी उस्मानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में देवबंदी, बरेलवी, अहल-ए-हदीस और शिया विचारधाराओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) और जमात-ए-इस्लामी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

 

बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि इजरायल-हमास संघर्षविराम के बाद अब मुस्लिम देशों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे गाजा में सेना भेजकर हमास को निहत्था करें। बयान में स्पष्ट शब्दों में कहा गया,

 

“कई मुस्लिम देश इस दबाव को ठुकरा चुके हैं। अब पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया जा रहा है, जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।”

 

‘हमास को निहत्था करना इस्लामी मूल्यों के खिलाफ’

 

मौलवियों ने चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान ने गाजा में सेना भेजकर हमास के खिलाफ कोई भूमिका निभाई, तो यह फिलिस्तीन के संघर्ष और मुस्लिम एकता के साथ खुला विश्वासघात होगा। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से मांग की कि वह वॉशिंगटन के किसी भी दबाव के आगे न झुके और इस तरह की किसी भी सैन्य तैनाती से साफ इनकार करे।

 

धार्मिक नेताओं ने दो टूक कहा कि फिलिस्तीन की आज़ादी का समर्थन करना हर मुसलमान का कर्तव्य है और हमास को अपने बचाव के लिए हथियार रखने का अधिकार है।

 

पाकिस्तान के लिए बढ़ती मुश्किलें

 

गौरतलब है कि ISF को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थित 20-पॉइंट गाजा शांति योजना का अहम हिस्सा बताया जा रहा है। इजरायल जहां हमास के पूर्ण निरस्त्रीकरण पर अड़ा है, वहीं हमास के वरिष्ठ नेता खलील अल-हय्या पहले ही कह चुके हैं कि संगठन अपने हथियार नहीं छोड़ेगा।

 

ऐसे में गाजा में पाकिस्तानी सैनिकों की संभावित तैनाती न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि देश के भीतर भी असीम मुनीर और पाकिस्तान सरकार के लिए बड़ी राजनीतिक और धार्मिक चुनौती बनती जा रही है।

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