
वॉशिंगटन: अमेरिकी पेंटागन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में चीन और भारत के बीच बढ़ते संबंधों पर नजर रखते हुए चेतावनी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अरुणाचल प्रदेश और अन्य विवादित क्षेत्रों को अपने राष्ट्रीय हित के दायरे में मानता है और भविष्य में सीमा विवाद में तेज़ी की संभावना है।
चीन की दीर्घकालिक रणनीति:
पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन का दीर्घकालिक लक्ष्य साल 2049 तक ‘चीनी राष्ट्र का महान पुनरुत्थान’ हासिल करना है। इस रणनीति के तहत बीजिंग न केवल अपनी वैश्विक प्रभाव क्षमता बढ़ा रहा है, बल्कि एक ऐसी विश्वस्तरीय सेना का निर्माण कर रहा है जो युद्ध लड़ने और जीतने में सक्षम हो।
अरुणाचल पर नजर:
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपने तीन “कोर इंटरेस्ट” तय किए हैं — CCP का पूर्ण नियंत्रण, देश का आर्थिक विकास और क्षेत्रीय दावों की रक्षा। इन दावों में ताइवान, दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप और भारत के अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। यानी अरुणाचल को लेकर भविष्य में भारत-चीन विवाद की आशंका बढ़ सकती है।
LAC पर तनाव कम करने की कोशिश:
अक्टूबर 2024 में BRICS शिखर सम्मेलन से पहले, चीन ने भारतीय नेतृत्व के साथ LAC पर गतिरोध वाले क्षेत्रों से पीछे हटने की घोषणा की। इसके बाद शी जिनपिंग और मोदी की बैठक हुई, जिसने उच्च-स्तरीय संवाद और सीमा प्रबंधन पर चर्चा का मार्ग खोला। इसमें वीजा सुविधा, सीधी उड़ानें और शिक्षाविदों तथा पत्रकारों का आदान-प्रदान शामिल था।
पेंटागन का निष्कर्ष:
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन शायद LAC पर कम तनाव का फायदा उठाकर भारत के साथ संबंधों को स्थिर करना चाहता है और अमेरिका-भारत रणनीतिक सहयोग को गहरा होने से रोकना चाहता है। हालांकि, भारत में चीन को लेकर अविश्वास और अन्य विवादित मुद्दे दोनों देशों के संबंधों को पूरी तरह सामान्य होने से रोकते हैं।
विशेष टिप्पणी:
पेंटागन ने यह भी स्पष्ट किया कि CCP चीन पर किसी भी आंतरिक खतरे और आलोचना के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। पार्टी यह संदेश नहीं देना चाहती कि वह चीनी हितों की रक्षा में असफल हो रही है।