
लखनऊ: उत्तर प्रदेश से 2026 में राज्यसभा के 10 सांसदों का कार्यकाल समाप्त होने वाला है, और इन रिटायर होने वाले सांसदों में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के रामजी गौतम भी शामिल हैं। इस कारण अगले वर्ष होने वाले राज्यसभा चुनाव में बीएसपी का प्रतिनिधित्व उच्च सदन में समाप्त होने की संभावना है।
वर्तमान में यूपी विधानसभा में बसपा के पास केवल एक विधायक है। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में भी बीएसपी को कोई सीट नहीं मिली। 2019 में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन के दौरान ही बीएसपी को राज्यसभा में सदस्य भेजने का अवसर मिला था। रामजी गौतम मायावती के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं और 2 नवंबर 2020 को राज्यसभा सदस्य बने थे।
राज्यसभा में 2026 में रिटायर होने वाले सांसदों में भाजपा के बृजलाल, सीमा द्विवेदी, चंद्रप्रभा (गीता), हरदीप सिंह पुरी, दिनेश शर्मा, नीरज शेखर, अरुण सिंह और बीएल वर्मा के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के प्रो. रामगोपाल यादव भी शामिल हैं। कुल मिलाकर 10 सीटें खाली होंगी।
चुनावी समीकरण:
उत्तर प्रदेश विधानसभा में वर्तमान संख्या बल के अनुसार भाजपा के पास 258, सपा के पास 103, अपना दल 13, रालोद 9, निषाद पार्टी 5, सुभासपा 6, कांग्रेस 2, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक 2 और बसपा केवल 1 विधायक है। राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए लगभग 37 विधायकों का समर्थन आवश्यक है। इस गणित के आधार पर भाजपा अपने दम पर 8 सीटें जीतने की स्थिति में है, जबकि सपा को 2 सीटें मिलने की संभावना है।
बसपा के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति:
बसपा के पास विधानसभा में केवल एक विधायक होने के कारण इस बार राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व शून्य पर सिमट सकता है। मायावती के सामने 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए अधिक सीटें जीतना और दिल्ली में अपनी आवाज बनाए रखना बड़ी चुनौती बनेगा।
बीएसपी का इतिहास:
कांशीराम ने 1984 में बीएसपी का गठन किया। 1989 में पार्टी ने पहली बार 13 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की। 1993 में सपा के साथ गठबंधन से पार्टी को 67 सीटों पर जीत मिली। मायावती को 1994 में राज्यसभा भेजा गया, हालांकि 1996 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। बीएसपी ने लंबे समय तक लोकसभा और राज्यसभा में अपना प्रतिनिधित्व बनाए रखा, लेकिन अब पार्टी का संकट बढ़ता नजर आ रहा है।
लोकसभा चुनाव 2024 में बीएसपी का वोट शेयर केवल 2.04% रहा, जिससे उसकी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खतरे में पड़ सकता है। 2026 के राज्यसभा चुनाव के परिणाम पार्टी की राजनीतिक दिशा तय करेंगे।