
हापुड़। देश में हर वर्ष 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है। यह दिन किसानों के मसीहा, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और ग्रामीण विकास के प्रेरक नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती के रूप में समर्पित है। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में चौधरी चरण सिंह ने किसानों के हक, सम्मान और उनकी आर्थिक मजबूती के लिए आवाज उठाई। आज भी उनके विचार और नीतियां भारतीय कृषि और ग्रामीण समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
किसानों के पक्षधर नेता
चौधरी चरण सिंह का मानना था कि असली भारत गांवों में बसता है। उन्होंने देश की समृद्धि को ग्रामीण विकास और कृषि की मजबूती से जोड़कर देखा। उन्होंने ‘जमींदारी उन्मूलन’ और ‘भारत की गरीबी और उसका समाधान’ जैसी पुस्तकों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था और ग्रामीण समस्याओं पर अपने विचार रखे।
सादगी और अनुशासन के प्रतीक
चौधरी चरण सिंह सादगी, अनुशासन और ईमानदार राजनीति के लिए भी जाने जाते थे। वे शराब, दिखावे और फिजूलखर्ची के कट्टर विरोधी थे। उनका जीवन सरल लेकिन उच्च विचारों से परिपूर्ण था।
राष्ट्रीय किसान दिवस
चौधरी चरण सिंह ने अपने संपूर्ण जीवन को ग्रामीण उत्थान और किसानों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए समर्पित किया। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, उप-प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। उनके जन्मदिन 23 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2024 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की गई।
परिवार और विरासत
चौधरी चरण सिंह के पिता का नाम चौधरी मीर सिंह और माता का नाम नेत्र कौर था। उनकी पत्नी गायत्री देवी थीं। उन्हें पांच बेटियां और एक बेटा था। उनके पुत्र अजीत सिंह सांसद, विधायक और केंद्रीय मंत्री रहे, जबकि पोता जयंत चौधरी वर्तमान में केंद्रीय मंत्री और पूर्व विधायक हैं।
चौधरी चरण सिंह का जीवन किसानों के अधिकार, ग्रामीण विकास और ईमानदार राजनीति का प्रतीक रहा। आज भी उनकी नीतियां और विचार कृषि और ग्रामीण समाज के उत्थान में मार्गदर्शन करती हैं।