
फतेहपुर। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से पुलिस कार्यशैली पर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है। जाफरगंज थाना क्षेत्र में एक दलित युवती के साथ मारपीट और जातिसूचक गाली-गलौज के मामले में थाना पुलिस पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार करने का आरोप लगा है। पीड़िता का कहना है कि शिकायत लेकर थाने पहुंचने पर इंस्पेक्टर ने कहा—“कप्तान साहब (एसपी) से फोन कराइए, तभी केस दर्ज करेंगे।” मजबूर होकर युवती को एसपी की चौखट पर जाना पड़ा, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
खेत में बकरी चराने से रोका, तो तोड़ दिया हाथ
पीड़िता दीपिका, निवासी निबावर दरौटा लालपुर गांव, ने बताया कि वह गरीब किसान की दलित बेटी है। करीब एक माह पहले गांव के ही संदीप दुबे की बेटियां रिमझिम और खुशी उसके खेत में खड़ी फसल में बकरियां चरा रही थीं। जब दीपिका ने इसका विरोध किया तो आरोपियों ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज की और धमकी दी। इसके बाद लाठी-डंडों से हमला कर दिया गया, जिससे दीपिका का हाथ टूट गया।
थाने में सुलह का दबाव, FIR से इनकार
आरोप है कि घटना के बाद जब पीड़िता थाने पहुंची तो पुलिस ने जबरन सुलह का दबाव बनाया। सुलह से इनकार करने पर इंस्पेक्टर ने एफआईआर दर्ज करने से मना करते हुए एसपी से “ऑर्डर” लाने को कहा। इससे आहत दीपिका 10 दिसंबर को एसपी कार्यालय पहुंची और लिखित शिकायत दी।
आरोपियों की धमकियां जारी
पीड़िता का यह भी आरोप है कि आरोपी आए दिन धमकी देते हैं और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर डराने की कोशिश करते हैं। उनका कहना है कि गांव में दबंगई के कारण वह और उसका परिवार भय के साये में जीने को मजबूर है।
एसपी के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई
डीएसपी जाफरगंज बृजमोहन राय ने बताया कि मामले में बाप-बेटियों समेत तीन आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट सहित अन्य सुसंगत धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न केवल जातीय उत्पीड़न की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि पुलिस की जवाबदेही और पीड़ितों की त्वरित सुनवाई को लेकर भी बड़े सवाल खड़े करता है।