
नई दिल्ली। हर साल लाखों भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए देश छोड़कर विदेश का रुख करते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जर्मनी जैसे देशों में भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में 18 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जो कई देशों की आबादी से भी अधिक है।
विदेश में पढ़ाई की वजह
लीप स्कॉलर की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों के विदेश जाने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं—
- किफायती पढ़ाई: छात्रों को विदेश में कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर मिलता है।
- पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा: पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को विदेशी देशों में नौकरी का मौका और वर्क वीजा मिलने की संभावना रहती है।
इसके अलावा, एआई और तकनीकी क्षेत्र में उन्नति भी छात्रों को विदेश की ओर आकर्षित कर रही है।
सबसे अधिक लोकप्रिय देश
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 2024-25 में भारतीय छात्रों की रुचि में कुछ देशों में बेहद तेजी आई है—
जर्मनी: 377% वृद्धि (पिछले साल 219%) – 18 महीने का पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा और किफायती पढ़ाई।
न्यूजीलैंड: 2,900% वृद्धि – छात्रों को 3 साल तक रहने और काम करने की सुविधा।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE): 5,400% वृद्धि – कम खर्च में शिक्षा और आसान पहुंच।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये देश सस्ती पढ़ाई, नौकरी का अवसर और इमिग्रेशन नीतियों में आसानी के कारण भारतीय छात्रों को अपनी ओर खींच रहे हैं।
निष्कर्ष
विदेश में पढ़ाई का आकर्षण अब केवल डिग्री लेने तक सीमित नहीं है। पोस्ट-स्टडी वर्क अवसर, आर्थिक बचत और तकनीकी क्षेत्र में बेहतर भविष्य की उम्मीद भारतीय छात्रों को घर और परिवार छोड़कर विदेश जाने के लिए प्रेरित कर रही है। यही वह “लालच” है जो छात्रों को विदेश की ओर खींच रहा है।