
तेल अवीव/वॉशिंगटन।
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) द्वारा किए जा रहे हालिया मिसाइल अभ्यास ने इजरायल की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इजरायल को आशंका है कि यह सैन्य अभ्यास किसी बड़े और अचानक हमले की तैयारी का हिस्सा हो सकता है। इसी डर के चलते इजरायली अधिकारियों ने अमेरिका को सतर्क किया है और खुफिया जानकारी साझा की है।
इजरायली और अमेरिकी सूत्रों के मुताबिक, तेल अवीव ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को स्पष्ट रूप से आगाह किया है कि ईरान की मौजूदा मिसाइल गतिविधियों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के अचानक हमले के बाद से इजरायल किसी भी तरह का जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं है।
हमले की आशंका, लेकिन पूरी तरह पुख्ता सबूत नहीं
अमेरिकी वेबसाइट Axios की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली खुफिया एजेंसियों को फिलहाल ईरान में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास के संकेत मिले हैं, लेकिन सीधे हमले के ठोस सबूत नहीं हैं। एक इजरायली अधिकारी ने कहा कि ईरान के हमले की संभावना भले ही 50 प्रतिशत से कम हो, लेकिन मौजूदा हालात में लापरवाही नहीं बरती जा सकती।
वहीं, एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि फिलहाल अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को ऐसा कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो कि ईरान तुरंत हमला करने जा रहा है।
इजरायल और अमेरिका के सैन्य प्रमुखों में बातचीत
इजरायल के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जामिर ने अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख एडमिरल ब्रैड कूपर से बातचीत की है। जामिर ने IRGC की हालिया मिसाइल एक्सरसाइज पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि यह गतिविधि किसी अचानक हमले को छिपाने का तरीका भी हो सकती है।
उन्होंने ईरान के खतरे से निपटने के लिए अमेरिका के साथ नजदीकी सैन्य और खुफिया सहयोग की जरूरत पर जोर दिया।
ट्रंप से मुलाकात करेंगे नेतन्याहू
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 29 दिसंबर को अमेरिका दौरे पर जाएंगे, जहां उनकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अहम मुलाकात तय है। इस बैठक में ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता, उसके पुनर्निर्माण के प्रयास और 2026 में ईरान पर संभावित सैन्य कार्रवाई जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से उठाए जाने की संभावना है।
इजरायल को संकेत मिले हैं कि ईरान अपने मिसाइल कार्यक्रम को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, जिसे रोकना तेल अवीव की प्राथमिकता बन चुका है।
जून का युद्ध और मिसाइलों की अहम भूमिका
इस साल जून में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर अमेरिका और इजरायल ने हवाई हमले किए थे। इसके जवाब में दोनों देशों के बीच 12 दिनों तक भीषण संघर्ष चला। इस दौरान ईरान की मिसाइलें उसकी सबसे बड़ी ताकत साबित हुईं, जिनसे इजरायल पर ताबड़तोड़ हमले किए गए।
इजरायल अब नहीं चाहता कि जून की लड़ाई में ईरान के मिसाइल कार्यक्रम को जो नुकसान हुआ था, उसे तेहरान दोबारा संभालने में सफल हो।
निष्कर्ष
ईरानी मिसाइल अभ्यास ने पश्चिम एशिया में तनाव को एक बार फिर बढ़ा दिया है। इजरायल किसी भी अप्रत्याशित हमले को रोकने के लिए अमेरिका के साथ रणनीतिक तालमेल मजबूत कर रहा है। आने वाले दिनों में नेतन्याहू और ट्रंप की मुलाकात इस पूरे घटनाक्रम की दिशा तय करने में अहम साबित हो सकती है।