
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हुई हिंसा के बीच एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और इसे साबित करने के लिए किसी संवैधानिक प्रमाण की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह एक वास्तविकता है।
हिंदू राष्ट्र की प्राचीनता
भागवत ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा बहुत पुरानी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “सूर्य पूर्व में उगता है, लेकिन कब से उगता है, यह किसी को नहीं पता। अब इसके लिए भी संविधान की मंजूरी चाहिए क्या?” उनका कहना है कि भारत को मातृभूमि मानने वाला, भारतीय संस्कृति में श्रद्धा रखने वाला और पूर्वजों का गौरव मानने वाला प्रत्येक व्यक्ति भारत को हिंदू राष्ट्र बनाए रखेगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर संसद चाहती है कि संविधान में ‘हिंदू राष्ट्र’ शब्द जोड़ा जाए तो जोड़ा जाएगा, और अगर नहीं जोड़ा गया तो भी भारत का स्वरूप बदलेगा नहीं। “हम हिंदू हैं और राष्ट्र हमारा हिंदू राष्ट्र है। यह सत्य कहीं लिखा हो या न लिखा हो, यह बदलने योग्य नहीं है।”
हिंदू समाज को संगठित करना जरूरी
भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को संगठित करना संघ का मुख्य उद्देश्य है। “अगर यह कल सुबह तक हो जाए तो कल सुबह ही करेंगे, और नहीं हुआ तो तब तक करेंगे जब तक काम पूरा नहीं होता। पूरी प्रक्रिया के दौरान हमें रुकना नहीं है। बाधाएं आएंगी, लेकिन इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए संघ को चलाया जा रहा है।”
बीजेपी-आरएसएस के संबंधों पर स्पष्टीकरण
मोहन भागवत ने बीजेपी और RSS के बीच दूरियों की चर्चा पर कहा कि संघ और राजनीतिक नेतृत्व के बीच हमेशा दूरी रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह संघ के स्वयंसेवक हैं और सभी निकटता के बावजूद यह राजनीति का मामला नहीं है। उन्होंने कहा, “मीडिया द्वारा दूरियों-नजदीकियों की खबरें चलाई जाती हैं, लेकिन असलियत में यह ऐसा नहीं है।”
मोहन भागवत का यह बयान भारतीय राजनीति और धर्म-राजनीति के बीच जारी बहस में एक नई दिशा को संकेत देता है।