
गुजरात के लोथल में भारत और नीदरलैंड ने मिलकर ऐतिहासिक समुद्री विरासत को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। दोनों देशों ने नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्पलेक्स (NMHC) के निर्माण और संरक्षण के लिए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता विदेश मंत्री एस. जयशंकर और डच विदेश मंत्री डेविड वैन वील के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान हुआ।
नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्पलेक्स
लोथल में बनने वाला यह कॉम्पलेक्स देश की प्राचीन समुद्री गतिविधियों और पोर्ट सिटी की विरासत को जीवंत बनाएगा। समझौते के तहत एम्स्टर्डम स्थित नेशनल मैरीटाइम म्यूजियम भी तकनीकी सहयोग और डिजाइन प्रक्रिया में हिस्सा लेगा। दोनों देश संयुक्त प्रदर्शनी, रिसर्च और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से ज्ञान साझा करेंगे।
लोथल को प्रमुख पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में बड़ा कदम
इस साझेदारी का उद्देश्य न केवल संरक्षण करना है, बल्कि आगंतुकों के अनुभव को और अधिक इंटरैक्टिव और समृद्ध बनाना भी है। म्यूजियम के माध्यम से लोथल की प्राचीन समुद्री विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया जाएगा। यह परियोजना लोथल को भारत और विश्व का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाने में मदद करेगी।
लोथल का प्राचीन समुद्री इतिहास
खंभात की खाड़ी के पास स्थित लोथल, सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा भारत का सबसे पुराना बंदरगाह शहर है। यह शहर भोगावो और साबरमती नदियों के बीच बसा है। लोथल का अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है। यहाँ की नगर योजना, 90 डिग्री पर आपस में मिलने वाली सड़कें और विकसित ड्रेनेज सिस्टम प्राचीन भारत में शहरी नियोजन का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
डॉकयार्ड और समुद्री गतिविधियां
लोथल में पाए गए आयताकार बेसिन को डॉकयार्ड कहा जाता है, जो हड़प्पावासियों की समुद्री गतिविधियों और व्यापारिक कौशल का प्रमाण है। यह प्राचीन शहर यह दिखाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग व्यापार और जलमार्ग से जुड़े कार्यों में कितने कुशल थे।
निष्कर्ष
भारत-नीदरलैंड की यह साझेदारी लोथल की 4,500 साल पुरानी विरासत को संरक्षित करने और इसे वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। आने वाले समय में यह प्राचीन पोर्ट सिटी न केवल इतिहास प्रेमियों बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगी।