Saturday, December 20

रोम से सोलापुर तक: महाराष्ट्र में प्राचीन भूलभुलैया ने खोला पुराने व्यापार मार्ग का रहस्य

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के बोरमणी इलाके में वैज्ञानिकों ने भारत की अब तक की सबसे बड़ी गोलाकार भूलभुलैया की खोज की है। इस प्राचीन संरचना में 15 घेरे हैं और यह लगभग 2,000 साल पहले टेर (धारशिव) और रोम के बीच प्राचीन व्यापारिक संबंधों का संकेत देती है।

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पुणे के डेक्कन कॉलेज के पुरातत्वविज्ञानी सचिन पाटिल ने इस भूलभुलैया का पता लगाया। उन्होंने बताया कि यह भूलभुलैया रोमन व्यापारियों के लिए दिशा-निर्देश का काम कर सकती थी। “ये व्यापारी महाराष्ट्र के पश्चिमी तट से भारत के अन्य हिस्सों तक यात्रा करते थे और मसालों, रेशम और नील रंग के बदले सोना, शराब और कीमती पत्थर खरीदते थे,” पाटिल ने कहा।

भूलभुलैया की गोलाकार संरचना और बीच में सर्पिल (spiral) इसे विशिष्ट बनाती है। ब्रिटेन की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘कैरड्रोइया’ के 2026 अंक में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार से पेश किया जाएगा। पत्रिका के संपादक जेफ सॉवर्ड के अनुसार, यह भूलभुलैया भारतीय ‘चक्रव्यूह’ शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है।

इतिहास में नया आयाम
डेक्कन कॉलेज के पुरातत्व विभाग के प्रमुख पी.डी. सबले ने बताया कि कोल्हापुर, कराड और टेर के आसपास के इलाके विदेशी व्यापार के बड़े केंद्र थे। 1945 में ब्रह्मपुरी में खुदाई में ग्रीको-रोमन समुद्र देवता पोसीडॉन की मूर्ति और पॉलिश कांस्य दर्पण मिले थे। सोलापुर, सांगली और सतारा जिलों में मिली भूलभुलैयाओं से पता चलता है कि यह क्षेत्र प्राचीन ‘रेशम मार्ग’ का हिस्सा था।

किसने खोजा और कैसे
इस प्राचीन संरचना को बोरमणी घास के मैदान सफारी अभयारण्य में काम कर रहे एनजीओ ‘नेचर कंजर्वेशन सर्कल’ के सदस्यों ने देखा। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और भेड़ियों की निगरानी कर रहे सदस्यों – पप्पू, नितिन अन्वेकर, धनंजय काकड़े, भरत छेड़ा, आदित्य झिंगाडे और सचिन सावंत – ने पाटिल को इसकी जानकारी दी। 17 दिसंबर को साइट की जांच पर पाटिल ने इसकी ऐतिहासिक महत्ता की पुष्टि की।

भूलभुलैया के छोटे पत्थरों से बने छल्लों के बीच मिट्टी का जमाव इस बात का संकेत देता है कि यह संरचना सदियों से अछूती रही है। डिजाइन क्रेते (Crete) के सिक्कों पर दिखाई देने वाली भूलभुलैया जैसी है, जो पहली से तीसरी शताब्दी के बीच रोमन मुद्रा के रूप में प्रयोग होती थी।

प्राचीन भारत का गौरव और पर्यटन संभावना
यह खोज न केवल भारत के प्राचीन इतिहास और विदेशी व्यापारिक संबंधों की गहराई को उजागर करती है, बल्कि यह उस समय की इंजीनियरिंग और सांस्कृतिक प्रथाओं का भी प्रमाण है। सोलापुर क्षेत्र के लिए यह भूलभुलैया एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन सकती है, जो इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करेगी।

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