
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की डायरेक्टर जनरल पद्मश्री सुनीता नारायण ने कहा है कि जहरीली हवा से लड़ने के लिए केवल एयर प्यूरीफायर या अस्थायी उपाय पर्याप्त नहीं हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए लोगों और सरकार दोनों को अपनी रणनीति और लाइफस्टाइल बदलने की जरूरत है।
की पूनम गौड़ से बातचीत में सुनीता नारायण ने कहा कि चीन जैसे देशों के उदाहरण से हम सीख सकते हैं। वहाँ प्राकृतिक गैस का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर नियंत्रण रखा गया। साथ ही वाहनों के इलेक्ट्रिक विकल्प अपनाने से भी हवा साफ हुई। उनका कहना है कि भारत में भी दीर्घकालिक योजना के तहत पूरे साल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
सुनीता नारायण ने बताया कि अमीर लोग अपनी निजी कारों और बड़े घरों के कारण प्रदूषण में योगदान दे रहे हैं। एयर प्यूरीफायर और दिल्ली से बाहर जाने जैसी अस्थायी उपायों से समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा, “हमें खुद से सवाल करना होगा कि क्या बड़ी गाड़ियां, AC, जेनरेटर जैसी चीजें वाकई जरूरी हैं। घरों और शहरों को इस तरह डिजाइन किया जाए कि कम संसाधनों में अधिक आराम मिले।”
सरकार के प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा कि हाल के सुधार जैसे BS-6 तकनीक, साफ ईंधन, सार्वजनिक परिवहन और कंजेशन टैक्स महत्वपूर्ण हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं। उन्होंने नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म की जरूरत बताते हुए पुरानी कमर्शल गाड़ियों को नई साफ तकनीक वाली गाड़ियों से बदलने, सार्वजनिक परिवहन सुधारने और किसानों को पराली जलाने की बजाय उसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी।
सुनीता नारायण ने स्पष्ट किया कि प्रदूषण केवल सर्दियों तक सीमित समस्या नहीं है, यह पूरे साल सतत कार्रवाई से ही कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “क्लाउड सीडिंग या स्मॉग गन जैसी दिखावटी चीजों का समय खत्म हो गया है। असली समाधान दीर्घकालिक नीति और लाइफस्टाइल बदलाव में है।”