Friday, December 19

हाजी अली दरगाह से लेकर महिलाओं के अधिकारों तक, जस्टिस रेवती मोहिते डेरे बनेंगी मेघालय हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट की वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस रेवती पी. मोहिते डेरे को मेघालय हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है। यह सिफारिश 18 दिसंबर को हुई कॉलेजियम की बैठक में की गई। जस्टिस डेरे वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट की दूसरी सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।

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न्यायिक सफर: पुणे से हाईकोर्ट तक

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे का जन्म 17 अप्रैल 1965 को पुणे में हुआ। उन्होंने सिम्बायोसिस लॉ कॉलेज, पुणे से कानून की पढ़ाई की। वकालत की शुरुआत उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट से की और बाद में महाराष्ट्र सरकार के लिए सरकारी अभियोजक के रूप में भी सेवाएं दीं।
साल 2013 में उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2015 में स्थायी न्यायाधीश बनीं। तब से वे बिना किसी स्थानांतरण के बॉम्बे हाईकोर्ट में कार्यरत हैं।

कई ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से अहम फैसले

जस्टिस डेरे ने अपने कार्यकाल में आपराधिक न्याय प्रणाली, पुलिस जवाबदेही और मौलिक अधिकारों से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लिखे।

हिरासत में मौतों पर सख्त रुख

साल 2015 में उन्होंने जस्टिस वी.एम. कनाडे के साथ मिलकर महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि हिरासत में होने वाली मौतों के मामलों में जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच और निलंबन की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

हाजी अली दरगाह में महिलाओं को प्रवेश

साल 2016 में जस्टिस डेरे उस ऐतिहासिक पीठ का हिस्सा रहीं, जिसने मुंबई की हाजी अली दरगाह के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने ट्रस्ट को महिलाओं को समान अधिकार के साथ इबादत की अनुमति देने का निर्देश दिया था।

गरीबों के इलाज और CSR का उपयोग

इसी वर्ष उन्होंने यह भी सिफारिश की कि कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) की राशि का उपयोग गरीब मरीजों के अस्पताल खर्च वहन करने में किया जाना चाहिए।

जेलों में बच्चों की स्थिति की जांच

2017 में जस्टिस डेरे ने महाराष्ट्र की जेलों में माताओं के साथ रहने वाले बच्चों की स्थिति की न्यायिक जांच का नेतृत्व किया, जिससे जेल सुधारों पर व्यापक बहस शुरू हुई।

नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात की अनुमति

2019 में उन्होंने एक अहम फैसले में 14 वर्षीय रेप पीड़िता को 20 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था में गर्भपात की अनुमति दी, जिसे महिला अधिकारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना गया।

सोहराबुद्दीन केस से हटाया जाना

2018 में जस्टिस डेरे को बहुचर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस की सुनवाई से हटा दिया गया था। इससे पहले उन्होंने टिप्पणी की थी कि सीबीआई इस मामले में पर्याप्त सहयोग नहीं कर रही है, जिसे लेकर मामला चर्चा में आ गया था।

नई जिम्मेदारी, नई उम्मीदें

मेघालय हाईकोर्ट की संभावित मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे की नियुक्ति को न्यायपालिका में संवेदनशीलता, स्वतंत्रता और अधिकार-आधारित फैसलों की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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