
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिकारियों और नौकरशाहों के लिए ‘माननीय‘ शब्द के इस्तेमाल पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने राजस्व विभाग के प्रधान सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए पूछा है कि किस कानून या प्रोटोकॉल के तहत अधिकारियों के नाम या पदनाम के साथ ‘माननीय‘ जोड़ा जा रहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट और गरिमा प्रसाद की खंडपीठ ने योगेश शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने विशेष रूप से यह प्रश्न उठाया कि ‘अतिरिक्त आयुक्त, अपील‘ को ‘माननीय अतिरिक्त आयुक्त, अपील‘ क्यों कहा जा रहा है।
कोर्ट का तर्क:
खंडपीठ ने कहा कि यह प्रवृत्ति संवैधानिक पदाधिकारियों और न्यायालयों के दर्जे को कम करने का एक सूक्ष्म लेकिन निश्चित तरीका है। हाल के दिनों में राज्य के विभिन्न विभागों में यह चलन बढ़ा है कि सबसे निचले स्तर से लेकर उच्चतम स्तर तक के अधिकारियों के पदनाम के आगे आधिकारिक पत्राचार और आदेशों में ‘माननीय’ जोड़ा जा रहा है।
निर्देश और स्पष्टीकरण:
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ‘माननीय‘ शब्द का प्रयोग केवल मंत्रियों और अन्य संप्रभु पदाधिकारियों के लिए ही उपयुक्त है, न कि नौकरशाहों या राज्य सरकार के अफसरों के लिए। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि इटावा के डीएम ने कानपुर के संभागीय आयुक्त को पत्राचार में ‘माननीय आयुक्त’ कहकर संबोधित किया, जो कि अनुचित है।
अगली सुनवाई: 19 दिसंबर को निर्धारित है।