
नई दिल्ली।
भगोड़ा घोषित किए जा चुके कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई का बड़ा असर सामने आया है। बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के हजारों पूर्व कर्मचारियों के लिए यह एक बड़ी राहत की खबर है। वर्षों से वेतन और अन्य बकायों का इंतजार कर रहे कर्मचारियों को अब कुल ₹312 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया है।
यह रकम आधिकारिक लिक्विडेटर को ट्रांसफर की गई है, जिससे कर्मचारियों के दावों का निपटारा किया जा सकेगा। यह फैसला चेन्नई स्थित डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) के आदेश के बाद लिया गया, जिसने उन शेयरों की बिक्री से प्राप्त धनराशि जारी करने का निर्देश दिया था, जिन्हें पहले ED ने SBI को वापस किया था।
लंदन में माल्या, भारत में कार्रवाई
एक ओर विजय माल्या लंदन में अपने जन्मदिन से पहले पार्टी करते नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत में उनकी जब्त संपत्तियों से पीड़ित कर्मचारियों को न्याय मिलने की प्रक्रिया आगे बढ़ी है। सीबीआई द्वारा लोन धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद माल्या देश छोड़कर ब्रिटेन चले गए थे। इसके बाद ED ने उनके और किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।
जनवरी 2019 में विजय माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया था। ED ने PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस और उससे जुड़ी कंपनियों की करीब ₹5,042 करोड़ की संपत्तियां जब्त की थीं। इसके अलावा ₹1,695 करोड़ की अन्य प्रॉपर्टी भी अटैच की गई थी।
संपत्तियों की बिक्री से मिली रकम
बाद में एक विशेष PMLA कोर्ट ने DRT के माध्यम से अटैच की गई संपत्तियों को SBI के नेतृत्व वाले बैंक कंसोर्टियम को लौटाने की अनुमति दी। इन संपत्तियों की बिक्री से कुल ₹14,132 करोड़ की राशि प्राप्त हुई। इसी राशि में से कर्मचारियों के बकाए के भुगतान का रास्ता साफ हुआ।
ED के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,
“प्रवर्तन निदेशालय ने सभी संबंधित पक्षों के साथ समन्वय बनाकर यह सुनिश्चित किया कि किंगफिशर के पूर्व कर्मचारियों को उनका लंबे समय से अटका बकाया मिल सके। इसके लिए SBI के वरिष्ठ अधिकारियों से भी लगातार बातचीत की गई।”
कर्मचारियों के लिए न्याय की दिशा में बड़ा कदम
करीब एक दशक से आर्थिक संकट झेल रहे किंगफिशर के पूर्व कर्मचारियों के लिए यह भुगतान सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि न्याय की उम्मीद है। यह कार्रवाई यह भी दिखाती है कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ की गई सख्त कानूनी कार्रवाई का असर अंततः पीड़ितों तक पहुंच सकता है।