
नई दिल्ली।
जापान की सेंट्रल बैंक बैंक ऑफ जापान (BOJ) ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर देश की आर्थिक नीतियों में बड़ा बदलाव किया है। अल्पकालिक ब्याज दरों को 0.5% से बढ़ाकर 0.75% कर दिया गया है, जो 1995 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। यह कदम दशकों से चल रहे आसान मौद्रिक नीति और लगभग शून्य उधार लागत को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
क्यों बढ़ाई गई दरें?
बैंक ऑफ जापान का मानना है कि जापान अब स्थिर रूप से 2% महंगाई लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह मुख्य रूप से वेतन वृद्धि और आर्थिक गतिविधियों में मजबूती के कारण संभव हुआ है। बैंक ने कहा कि ब्याज दरों में बदलाव के बावजूद वास्तविक दरें अभी भी नकारात्मक रह सकती हैं, जिससे वित्तीय स्थितियां आर्थिक गतिविधियों को सहारा देना जारी रखेंगी।
वैश्विक संदर्भ में कदम
हाल ही में भारत के आरबीआई और अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती की थी, जबकि जापान ने उल्टा कदम उठाया। यह नीति का अंतर जापान की विशेष आर्थिक परिस्थिति और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की जरूरत को दर्शाता है।
आर्थिक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़ोतरी:
- जापान में संपत्ति और निवेश पर प्रभाव डाल सकती है।
- घरेलू बचत को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
- विदेशी निवेशकों के लिए जापान को आकर्षक बनाएगी।
बैंक ऑफ जापान ने यह भी संकेत दिया कि आगामी वर्षों में ब्याज दरों में और वृद्धि संभव है। इससे जापान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से चली आ रही आसान वित्तीय नीतियों से सामान्य वित्तीय नीति की ओर बढ़ेगी।
यह कदम न केवल जापान बल्कि वैश्विक वित्तीय बाजारों पर भी महत्वपूर्ण असर डाल सकता है, क्योंकि जापान दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।