
पटना। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़ा हिजाब विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। यूनानी, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र सौंपने के कार्यक्रम के दौरान एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब हल्के से हटाने का मामला अब राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बन चुका है। इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री का बचाव करने उतरे जेडीयू के मुस्लिम नेता अफजल अंसारी अब खुद विवादों में घिर गए हैं।
अफजल अंसारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इरादा किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का नहीं था। उनके मुताबिक, “मुख्यमंत्री उस समय जॉली मूड में थे। उन्हें लगा कि विजुअल अच्छा बने और महिला का चेहरा सामने आए, ताकि यह संदेश जाए कि मुस्लिम लड़कियां भी आगे बढ़ रही हैं और उन्हें सम्मान दिया जा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस घटना को बेवजह बढ़ा-चढ़ाकर देखा जा रहा है। “नीतीश कुमार हर धर्म और हर समुदाय का सम्मान करते हैं। यह कहना गलत है कि मुस्लिम महिला का अपमान हुआ है। विपक्ष इसे अलग नजरिए से देख रहा है,”—ऐसा अफजल अंसारी का कहना है।
‘इसमें कुछ गलत नहीं’—JDU नेता का दावा
अफजल अंसारी ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें इस पूरे घटनाक्रम में कुछ भी गलत नजर नहीं आता। उनके अनुसार, मुख्यमंत्री खुशी के भाव में यह दिखाना चाहते थे कि मुस्लिम महिलाएं भी सरकारी सेवाओं में आगे आ रही हैं और राज्य सरकार उन्हें अवसर दे रही है।
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
हालांकि, अफजल अंसारी की इस सफाई के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि अगर किसी नेता की अपनी बेटी के साथ ऐसा होता, तो क्या वे तब भी इसे सही ठहराते? कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के व्यवहार और मानसिक स्थिति पर भी टिप्पणी की, जबकि कुछ वर्ग अब भी नीतीश कुमार के समर्थन में खड़ा नजर आया।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम के दौरान नुसरत परवीन नाम की एक महिला डॉक्टर जब मंच पर पहुंचीं, तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कथित तौर पर उनका हिजाब हल्के से हटाया, ताकि चेहरा दिखाई दे। इसी घटना के बाद देश-विदेश, खासकर मुस्लिम समुदाय और महिला नेताओं के बीच नाराजगी देखी जा रही है।
निष्कर्ष
हिजाब को लेकर उठा यह विवाद अब केवल मुख्यमंत्री तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके बचाव में दिए गए बयानों ने जेडीयू नेताओं को भी सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार की राजनीति में और गहराने के आसार दिखा रहा है।