Thursday, December 18

‘बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट मुझे पकड़ो… एक महीने की सैलरी ले जाओ’जयपुर के सब-इंस्पेक्टर गिरवर सिंह शेखावत का अनोखा चैलेंज, सड़क सुरक्षा का दिया सशक्त संदेश

जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर से सड़क सुरक्षा को लेकर एक प्रेरणादायक पहल सामने आई है। जयपुर पुलिस के सब-इंस्पेक्टर गिरवर सिंह शेखावत इन दिनों सोशल मीडिया पर खासे चर्चा में हैं। वजह है युवाओं को दिया गया उनका ओपन चैलेंज, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि कोई उन्हें वाहन चलाते समय बिना हेलमेट या बिना सीट बेल्ट देख ले, तो वे अपनी पूरी एक महीने की सैलरी देने को तैयार हैं।

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रामनगरिया थाना क्षेत्र में पदस्थ सब-इंस्पेक्टर गिरवर सिंह शेखावत शहर के अलग-अलग इलाकों में युवाओं से संवाद कर उन्हें यातायात नियमों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इसी दौरान वे युवाओं को यह टास्क दे रहे हैं—“मुझ पर नजर रखो। मैं चाहे घर से निकलूं, थाने जाऊं या कोर्ट, अगर कहीं भी बिना हेलमेट या सीट बेल्ट दिख गया, तो मेरी एक महीने की तनख्वाह आपकी।”

70 हजार रुपये से ज्यादा की सैलरी दांव पर

एनबीटी से बातचीत में एसआई गिरवर सिंह ने बताया कि वे 2018 बैच के सब-इंस्पेक्टर हैं और उनकी मासिक सैलरी 70 हजार रुपये से अधिक है। इसके बावजूद उन्होंने यह चैलेंज इसलिए दिया, ताकि युवाओं को यह समझाया जा सके कि नियमों का पालन केवल आम नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि पुलिसकर्मियों के लिए भी उतना ही जरूरी है।

सड़क सुरक्षा अभियान से जुड़ी पहल

प्रदेश में चल रहे सड़क सुरक्षा अभियान के तहत पुलिस और परिवहन विभाग लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसी कड़ी में गिरवर सिंह शेखावत युवाओं के बीच जाकर बताते हैं कि थोड़ी सी सावधानी जीवन बचा सकती है। उनका कहना है कि हेलमेट और सीट बेल्ट कोई जुर्माना नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा कवच हैं।

सेना से पुलिस तक का सफर

सब-इंस्पेक्टर गिरवर सिंह शेखावत मूल रूप से सीकर जिले के फतेहपुर क्षेत्र के बागड़ोदा गांव के निवासी हैं। वे फरवरी 2000 से अप्रैल 2017 तक भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं। सेना से सेवानिवृत्ति के बाद एक्स-आर्मी कोटे से 2018 में सब-इंस्पेक्टर बने। जयपुर के करधनी, बगरू और सदर थानों में सेवाएं देने के बाद वर्तमान में रामनगरिया थाने में तैनात हैं।

परिवार ही सबसे बड़ी प्रेरणा

गिरवर सिंह एक बेटी और एक बेटे के पिता हैं। दोनों ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उनकी पत्नी कृष्णा कंवर गृहिणी हैं, जबकि दामाद नरेंद्र सिंह राठौड़ भी जयपुर पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।

युवाओं से संवाद के दौरान गिरवर सिंह भावुक अंदाज में कहते हैं—
“हम अपने परिवार के लिए अनमोल हैं। सड़क पर की गई जरा सी लापरवाही पूरे परिवार की जिंदगी बदल सकती है।”

निष्कर्ष

जयपुर पुलिस के इस अधिकारी का अनोखा चैलेंज न सिर्फ कानून के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दिखाता है, बल्कि युवाओं को यह भी सिखाता है कि नियम पालन डर से नहीं, जिम्मेदारी से होना चाहिए। गिरवर सिंह शेखावत की यह पहल सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बनती नजर आ रही है।

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