
मुंबई। ‘शोले’ की बात आते ही जय-वीरू और गब्बर के साथ कालिया का किरदार भी याद आता है। यह किरदार विजू खोटे ने निभाया और उन्हें जिंदगी भर की पहचान दिलाई। हालांकि, इसी नाम को सुनकर उनके बेटे को एक बार गुस्सा भी आ गया था। आइए जानते हैं कि सिर्फ 450 सेकेंड के इस छोटे से रोल ने विजू खोटे की जिंदगी कैसे बदल दी।
शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर
विजू खोटे ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी। उन्होंने 440 से अधिक हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया। लेकिन 1975 में आई फिल्म ‘शोले’ में कालिया बनकर उन्हें असली लोकप्रियता मिली। इस फिल्म में उनका रोल केवल साढ़े सात मिनट (450 सेकेंड) का था और सिर्फ दो डायलॉग थे, लेकिन यह छोटे से किरदार ने उन्हें दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए बसाया।
अमजद खान का योगदान
कालिया का रोल विजू खोटे को अमजद खान ने सुझाया था। विजू ने इंटरव्यू में बताया कि पांच साल पहले अमजद खान के साथ एक अंग्रेजी नाटक किया था और दिल्ली में रामायण पर आधारित नाटक में उन्होंने रावण का रोल किया। अमजद खान ने ‘शोले’ के मेकर्स को विजू खोटे का नाम सुझाया और उन्हें कालिया का रोल मिला।
शूटिंग के दौरान चुनौतियां
शोले की शूटिंग में विजू खोटे को घोड़ी नफरतीती के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ा। घोड़ी ने कई बार उन्हें पटका, सिर और पिछले हिस्से में चोट आई। यहां तक कि संजीव कुमार और अमजद खान भी इससे गिर गए। इसके बावजूद विजू खोटे ने अपनी मेहनत और लगन से रोल को यादगार बनाया।
बेटे को भी आया गुस्सा
विजू खोटे के निधन को 6 साल हो चुके हैं, लेकिन लोग उन्हें कालिया के नाम से ही याद करते हैं। एक बार टहलते समय किसी ने विजू खोटे को ‘कालिया’ कहकर पुकारा, तो उनके बेटे को गुस्सा आ गया। उस समय उनका बेटा सिर्फ 3 साल का था। विजू खोटे ने बेटे को समझाया कि लोग जो कहते हैं उन्हें कहने दो। इस घटना ने उन्हें एहसास दिलाया कि कालिया का किरदार कितना पॉपुलर हो चुका है।
निष्कर्ष
केवल 450 सेकेंड और दो डायलॉग्स का यह रोल विजू खोटे के करियर और पहचान के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। कालिया का नाम आज भी फिल्म प्रेमियों के बीच अमर है, और विजू खोटे का योगदान हिंदी सिनेमा में हमेशा याद रखा जाएगा।