
नई दिल्ली: पिछले साल दो बार IPL नीलामी में नाम आने के बावजूद अनसोल्ड रहने वाले तेजस्वी सिंह दहिया की मेहनत इस साल रंग लाई। कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) ने उन्हें उनकी बेस प्राइस ₹30 लाख से दस गुना अधिक, यानी ₹3 करोड़ में खरीदा। इस खरीद के लिए मुंबई इंडियंस और राजस्थान रॉयल्स के बीच कड़ी टक्कर भी देखने को मिली।
जंगल में गुरुकुल की तपस्या
तेजस्वी की इस सफलता के पीछे उनके कोच और द्रोणाचार्य अवार्डी संजय भारद्वाज का हाथ है, जिन्होंने गौतम गंभीर और अमित मिश्रा जैसे दिग्गज खिलाड़ी तराशे हैं। पिछले साल अनसोल्ड रहने के बाद तेजस्वी भोपाल के पास जंगल में स्थित गुरुकुल में कड़ी तपस्या करने गए। इस गुरुकुल में फोन छीन लिए जाते थे और खिलाड़ियों को दिनभर केवल एक घंटा माता-पिता से बात करने की अनुमति मिलती थी। तेजस्वी मानते हैं, “कुछ बड़ा हासिल करने के लिए बहुत कुछ बलिदान करना पड़ता है।”
दिल्ली प्रीमियर लीग का सिक्सर किंग
तेजस्वी दहिया ने DPL में विस्फोटक प्रदर्शन किया। उन्होंने 190.44 के स्ट्राइक रेट से 339 रन बनाए और टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 29 छक्के जड़े। कोच भारद्वाज के अनुसार, “मैंने जब पहली बार तेजस्वी को बल्लेबाजी करते देखा, तभी समझ गया कि मेरे हाथ एक हीरा लग गया है।” उनकी विकेटकीपिंग और खेल की समझ भी अत्यंत प्रभावशाली है।
शिक्षक परिवार से आईपीएल के मंच तक
तेजस्वी एक शिक्षक परिवार से आते हैं। उनके पिता रविंद्र सिंह दहिया गणित के शिक्षक हैं और मां बबीता दहिया अर्थशास्त्र की शिक्षिका। तेजस्वी कहते हैं, “न मेरे माता-पिता को यकीन हो रहा है, न मैं इसे हजम कर पा रहा हूं।” बचपन से ही उनका आदर्श वीरेंद्र सहवाग, एमएस धोनी और विराट कोहली रहे हैं। KKR के लिए वह वही करना चाहते हैं जो गौतम गंभीर ने किया था। उन्होंने गर्व से कहा, “हम दिल्ली से हैं और हम जान लगा के खेलते हैं।”
निष्कर्ष:
तेजस्वी सिंह दहिया की कहानी यह साबित करती है कि लगन, अनुशासन और कड़ी मेहनत किसी भी पृष्ठभूमि से आकर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है। जंगल के गुरुकुल से IPL के ग्लैमर तक का उनका सफर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।