
स्लीपर बसों में यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सख्त कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत अब केवल वोल्वो, मर्सिडीज, टाटा, अशोक लेलैंड और आईसर जैसी बड़ी कंपनियां ही स्लीपर बसें बना सकेंगी। लोकल बस बॉडी बिल्डरों या छोटे वेंडरों पर स्लीपर बस बनाने का प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में बैठक:
सूत्रों के अनुसार हाल ही में केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें 2024-25 में स्लीपर बसों में हुई दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया गया। खासकर 14 से 28 अक्टूबर के बीच हुई पांच बड़ी घटनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई।
डिमांड-सप्लाई और बजट पर विचार:
सरकार अब देश में स्लीपर बसों की डिमांड और सप्लाई का मूल्यांकन कर रही है, ताकि बड़े वेंडरों पर प्रतिबंध लगाने से पहले यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्याप्त बसें उपलब्ध हो सकें। इसके साथ ही बजट पर भी विचार किया जा रहा है ताकि वोल्वो और मर्सिडीज जैसी महंगी बसें बस मालिकों के लिए सुलभ हों।
सुविधाजनक और किफायती यात्रा:
लोकल बस वेंडरों से बस बॉडी बनाने पर 35 से 40 लाख रुपये अतिरिक्त खर्च आता है। सरकार इस पहल में यात्रियों के लिए यात्रा की लागत को नियंत्रित रखने और सुरक्षा बढ़ाने दोनों पहलुओं पर काम कर रही है।
सरकार का यह कदम स्लीपर बसों में सुरक्षा मानकों को बढ़ाने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।