
लोनी, गाजियाबाद – गाजियाबाद के लोनी इलाके में नकली दवाओं की फैक्ट्री का पर्दाफाश हुआ है। इस पूरे मामले ने स्थानीय औषधि विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले में केवल दो औषधि निरीक्षक होने के कारण हजारों मेडिकल स्टोर और थोक विक्रेताओं की प्रभावी निगरानी लगभग असंभव साबित हो रही है।
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की कार्रवाई ने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया, जबकि स्थानीय औषधि विभाग लंबे समय तक इस नेटवर्क तक नहीं पहुँच सका। ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा ने बताया कि विभाग के पास आधुनिक तकनीकी संसाधन जैसे कॉल ट्रेसिंग और लोकेशन ट्रैकिंग उपलब्ध नहीं हैं, जिससे सूचना मिलने के बावजूद कार्रवाई में देरी होती है।
लोनी का दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर एरिया होने के कारण यह इलाका नकली दवाओं के कारोबारियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया था। वहीं, नई बस्ती दवा मार्केट जिले की थोक आपूर्ति का प्रमुख केंद्र होने के बावजूद निगरानी बेहद कमजोर है।
पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मामलों में बाहरी इनपुट पर ही कार्रवाई हुई है। उदाहरण के तौर पर, 3 नवंबर को मेरठ रोड स्थित मछली गोदाम से साढ़े तीन करोड़ रुपये की कफ सिरप की खेप पकड़ी गई थी, जो स्थानीय जांच के बजाय सोनभद्र पुलिस से मिले इनपुट पर संभव हो पाया।
विशेषज्ञों का कहना है कि औषधि विभाग की कार्रवाई अक्सर केवल लाइसेंसधारी मेडिकल स्टोरों तक सीमित रहती है। जबकि नकली दवा बनाने वाले अवैध गोदाम और गैरकानूनी सप्लाई चैन अब भी विभाग की पहुंच से बाहर हैं।
लगातार बढ़ते मामलों के मद्देनजर अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि औषधि विभाग को पर्याप्त स्टाफ, आधुनिक तकनीकी साधन और मजबूत खुफिया तंत्र मुहैया कराया जाए, ताकि नकली दवाओं के इस खतरनाक कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सके।