
हैदराबाद। लोकतंत्र में एक-एक वोट की कितनी अहमियत होती है, इसका जीवंत उदाहरण तेलंगाना के ग्राम पंचायत चुनाव में देखने को मिला है। निर्मल जिले की एक ग्राम पंचायत में सरपंच पद का फैसला सिर्फ एक वोट से हुआ—और यह निर्णायक वोट अमेरिका से आए ससुर का था, जिसने बहू को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया।
तेलंगाना के निर्मल जिले के लोकेश्वरम मंडल स्थित बागापुर ग्राम पंचायत में हुए चुनाव में मुत्याला श्रीदेवा सरपंच निर्वाचित हुईं। मतगणना के बाद सामने आया कि उनकी जीत का अंतर महज एक वोट का था। बाद में यह भी पता चला कि यह निर्णायक वोट डालने के लिए उनके ससुर मुत्याला इंद्रकरण रेड्डी विशेष रूप से अमेरिका से अपने पैतृक गांव पहुंचे थे।
अमेरिका से गांव तक, बहू के लिए निभाया लोकतांत्रिक फर्ज
मुत्याला इंद्रकरण रेड्डी चार दिन पहले ही अमेरिका से भारत आए थे। गांव पहुंचते ही उन्होंने ग्राम पंचायत चुनाव में अपनी बहू के पक्ष में मतदान किया। गांव वालों का कहना है कि ससुर का यह एक वोट बहू के लिए आशीर्वाद और वरदान साबित हुआ। आज यह “वन वोट विक्ट्री” पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।
आंकड़ों ने बयां की एक वोट की ताकत
सरपंच पद के लिए कुल 426 मतदाता थे, जिनमें से 378 वोट पड़े।
- मुत्याला श्रीदेवा को मिले — 189 वोट
- प्रतिद्वंद्वी हरशस्वती को मिले — 188 वोट
- एक वोट अमान्य घोषित किया गया
इस तरह महज एक वोट के अंतर से श्रीदेवा ने जीत दर्ज की और गांव की नई सरपंच बन गईं।
राजनीतिक विरासत से जुड़ा परिवार
दिलचस्प बात यह भी है कि मुत्याला इंद्रकरण रेड्डी स्वयं पहले सरपंच रह चुके हैं। वर्ष 2013 में उनकी भतीजी भी सरपंच बनी थीं और अब बहू की जीत के साथ यह राजनीतिक परंपरा आगे बढ़ी है।
लोकतंत्र का मजबूत संदेश
यह घटना न सिर्फ परिवारिक विश्वास और समर्थन की मिसाल है, बल्कि लोकतंत्र में हर वोट की अहमियत को भी रेखांकित करती है। बागापुर गांव का यह चुनाव परिणाम आने वाले समय तक लोगों को यह याद दिलाता रहेगा कि लोकतंत्र में कोई भी वोट छोटा नहीं होता।