
नई दिल्ली: हरियाणा के इंजीनियर सुमित गिरी ने हाई-पेइंग मार्केटिंग जॉब छोड़कर वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) बिजनेस शुरू किया। तीन साल के भीतर उनका स्टार्टअप ऊर्जा एग्रो फार्म वित्तीय वर्ष 2024-25 में ₹45 लाख का राजस्व अर्जित कर चुका है।
नौकरी छोड़ने का साहसिक कदम
सुमित ने सात साल तक फ्रेंच कंपनी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और मार्केटिंग के क्षेत्र में काम किया। लगातार यात्रा और अनियमित जीवनशैली के कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित हुआ। परिवार को समय देने और स्थिर जीवनशैली पाने के लिए उन्होंने नया रास्ता खोजने का निर्णय लिया।
ऑनलाइन रिसर्च के बाद उन्हें वर्मीकम्पोस्ट का व्यवसाय सबसे आकर्षक लगा। इसमें निवेश कम था और उत्पाद की मांग हमेशा बनी रहती है।
पहले बैच की सफलता ने बढ़ाया आत्मविश्वास
2022 में सुमित ने अपने करियर को अलविदा कहा और महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग से प्रशिक्षण लिया। उन्होंने यमुनानगर में आधा एकड़ जमीन लीज पर ली और 2500 किलो केंचुए खरीदे। शुरुआती चुनौतियों के बावजूद पहले बैच से उन्हें ₹3.5 लाख का राजस्व हुआ।
उत्पादन बढ़ाकर कारोबार का विस्तार
सफलता के बाद सुमित ने व्यवसाय का विस्तार किया। 2023 तक जमीन को 1.5 एकड़ तक बढ़ाया और 100 बेड तैयार किए। हर 3-4 महीने में लगभग 70 टन केंचुआ खाद का उत्पादन होने लगा। उत्पादन चक्र और तकनीकी पहलुओं को व्यवस्थित करने के बाद उनका व्यवसाय मजबूत हुआ।
भविष्य की बड़ी योजनाएं
आज सुमित का स्टार्टअप 160-170 बेड के साथ काम करता है और प्रति साइकिल 90-120 टन उत्पादन करता है। औसत बिक्री कीमत ₹6-7 प्रति किलो के हिसाब से प्रति साइकिल ₹6-7 लाख का राजस्व आता है। सुमित ने किसानों को खाद बेचने के साथ ही नए उद्यमियों को प्रशिक्षण देना भी शुरू किया है।
इन प्रयासों के चलते वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल राजस्व ₹45 लाख रहा और सुमित अब सालाना लगभग ₹20 लाख का लाभ कमा रहे हैं। उनका लक्ष्य 2026 तक यह लाभ ₹30 लाख तक बढ़ाना है और उत्तर भारत में नेटवर्क का विस्तार करना है।
निष्कर्ष: सुमित गिरी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही योजना, तकनीकी प्रशिक्षण और धैर्य के साथ कम पूंजी वाले व्यवसाय में भी बड़ा सफलता हासिल की जा सकती है।