
मेरठ (राहुल पराशर) – एनसीआर से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के मद्देनज़र योगी आदित्यनाथ सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। दिल्ली और एनसीआर की दमघोंटू हवा का असर मेरठ, मुजफ्फरनगर, हापुड़, बागपत और आसपास के जिलों में भी दिखाई दे रहा है।
सात विभागों को दी जिम्मेदारी
सरकार ने सात प्रमुख विभागों—कृषि, परिवहन, नगर विकास, गृह विभाग, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, लोक निर्माण विभाग और आवास एवं शहरी नियोजन—को प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी सौंपी है। इन विभागों से अब तक उठाए गए कदमों की रिपोर्ट और आगामी वर्ष के लिए विस्तृत एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
विकास प्राधिकरणों को विशेष निर्देश
एनसीआर क्षेत्र में शामिल गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़-पिलखुआ, बागपत-बड़ौत, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर के विकास प्राधिकरणों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अनुसार वार्षिक कार्ययोजना तैयार करें। इसमें पूरे वर्ष में प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय स्पष्ट किए जाने हैं। निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण और पानी के छिड़काव के उपायों की कड़ाई से निगरानी करने को भी कहा गया है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए व्यापक योजना
सात विभागों द्वारा तैयार किए जाने वाले प्रस्ताव में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सुधार, प्रदूषण के स्वास्थ्य पर असर, विशेष इलाकों में निगरानी और संभावित सुधारात्मक उपायों का विस्तृत अध्ययन शामिल होगा। शासन ने वर्ष 2021–2025 के किए गए सुधारात्मक उपायों की रिपोर्ट और वर्ष 2026 के लिए प्रस्तावित योजनाओं को भी मांगा है।
पूर्वी यूपी में भी स्थिति गंभीर
पश्चिमी यूपी के साथ-साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी वायु प्रदूषण चिंता का विषय बन गया है। प्रयागराज में सुबह और शाम की हवा खतरनाक स्तर तक पहुंच गई। शनिवार को पीएम 2.5 का स्तर 450 दर्ज किया गया, जो अत्यंत खतरनाक श्रेणी में आता है। डॉक्टरों ने आम जनता को मास्क पहनने, बाहर निकलने से बचने और सतर्क रहने की सलाह दी है।
सरकार की कार्रवाई
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए शहरों में पानी का छिड़काव और अन्य उपाय शुरू कर दिए गए हैं। माघ मेला की तैयारियों और निर्माण कार्यों को प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण माना जा रहा है।