Monday, December 15

आर्थिक तंगी ने उजाड़ा पूरा परिवार

मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से मानवता को झकझोर देने वाली एक बेहद मार्मिक और दर्दनाक घटना सामने आई है। सकरा थाना क्षेत्र के नवलपुर मिश्रोलिया गांव में आर्थिक तंगी से जूझ रहे एक परिवार ने सामूहिक आत्महत्या का प्रयास किया। इस हृदयविदारक घटना में पिता और उसकी तीन मासूम बेटियों की मौत हो गई, जबकि दो बेटे गंभीर हालत में अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

This slideshow requires JavaScript.

गरीबी और अकेलेपन ने तोड़ दी हिम्मत

मृतक की पहचान अमरनाथ राम के रूप में हुई है, जो पेशे से मजदूर थे। अमरनाथ ने अपने पांच बच्चों के साथ फांसी लगाकर जीवन समाप्त करने का प्रयास किया। इस दर्दनाक कदम में अमरनाथ और उनकी तीन बेटियां—अनुराधा, शिवानी और राधिका—मौत के आगोश में समा गईं। मृत बच्चियों की उम्र 8 से 14 वर्ष के बीच बताई जा रही है। वहीं, अमरनाथ के दो बेटे गंभीर अवस्था में मिले, जिन्हें ग्रामीणों की मदद से तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।

एक साल पहले पत्नी की मौत, तब से बढ़ती गईं मुश्किलें

परिजनों के अनुसार, अमरनाथ की पत्नी की मौत करीब एक साल पहले होली के समय हो गई थी। पत्नी के निधन के बाद से ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। अकेले दम पर पांच बच्चों की परवरिश, मजदूरी की अनिश्चित आमदनी और बढ़ती जिम्मेदारियों ने अमरनाथ को मानसिक रूप से तोड़ दिया था। आर्थिक संकट इतना गहरा गया कि परिवार के सामने दो वक्त की रोटी तक का संकट खड़ा हो गया।

गांव में मातम, हर आंख नम

घटना की खबर फैलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। मासूम बच्चियों की मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। गांव में मातम पसरा हुआ है और लोग इस सवाल से जूझ रहे हैं कि आखिर एक पिता को ऐसा खौफनाक कदम उठाने के लिए किस हद तक मजबूर होना पड़ा होगा।

पुलिस जांच में जुटी, हर पहलू की पड़ताल

सूचना मिलते ही सकरा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसडीपीओ ईस्ट मनोज कुमार सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की वजह आर्थिक तंगी सामने आ रही है, हालांकि पुलिस सभी पहलुओं की गहराई से जांच कर रही है। दोनों घायल बच्चों के बयान भी हालात सामान्य होने पर दर्ज किए जाएंगे।

सिस्टम पर भी खड़े हुए सवाल

इस घटना ने एक बार फिर समाज और व्यवस्था के सामने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या आर्थिक रूप से कमजोर और अकेले पड़े परिवारों तक सरकारी मदद समय पर पहुंच पा रही है? क्या गरीबी और मानसिक दबाव से जूझ रहे लोगों के लिए कोई प्रभावी सहारा मौजूद है?

मुजफ्फरपुर की यह त्रासदी सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि उस सामाजिक हकीकत का आईना है, जहां आर्थिक तंगी कई बार इंसान से जीने की आखिरी उम्मीद भी छीन लेती है।

Leave a Reply