“पहला जन्म मां की कोख से, दूसरा यज्ञोपवीत संस्कार से” – ब्राह्मण बटुकों को दी गई गुरुदीक्षा

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हंसदास मठ पर छह राज्यों से आए 71 ब्राह्मण बटुकों का हुआ वैदिक उपनयन संस्कार
हनुमान कथा एवं लक्ष्मीनारायण यज्ञ का भी शुभारंभ

इंदौर, 07 अप्रैल (एसडी न्यूज एजेंसी)।
भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों में से एक, उपनयन संस्कार को ‘द्विजत्व’ अर्थात दूसरे जन्म का प्रतीक माना जाता है। पहला जन्म मां की कोख से और दूसरा जन्म सनातन परंपरा के यज्ञोपवीत संस्कार से होता है। यह व्यक्ति को धर्म, देवकार्य एवं ब्राह्मणत्व के कर्तव्यों के योग्य बनाता है।

रविवार को एयरपोर्ट रोड स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर आयोजित एक भव्य समारोह में देश के 6 राज्यों से आए 71 ब्राह्मण बटुकों का वैदिक विधि से यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न हुआ। यह आयोजन हंसदास मठ एवं विश्व ब्राह्मण समाज संघ के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।


वैदिक परंपराओं के साथ संपन्न हुआ उपनयन संस्कार

संस्कार के दौरान आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि यज्ञोपवीत संस्कार व्यक्ति के जीवन में धर्म और आत्मज्ञान की ओर पहला कदम होता है। उन्होंने राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात एवं मध्यप्रदेश से आए बटुकों को इस वैदिक संस्कार की महत्ता से अवगत कराया।

करीब चार घंटे चले इस पवित्र अनुष्ठान में बटुकों ने कटिसूत्र, कोपिन, मेखला बंधन, दान, ग्रंथि पूजन, सूर्य दर्शन, मृगचर्म धारण, हृदयाबंध, अनुशासन दीक्षा एवं अंत में गुरुदीक्षा की संपूर्ण परंपराओं का पालन किया। आवश्यक सामग्री हंसदास मठ और विश्व ब्राह्मण समाज संघ द्वारा नि:शुल्क प्रदान की गई।


गुरुदीक्षा व अनुशासन दीक्षा से मिला धर्म का संबल

कार्यक्रम के संयोजक महामंडलेश्वर पं. पवनदास महाराज एवं पं. योगेन्द्र महंत ने बताया कि इस आयोजन में हंस पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर श्रीमहंत स्वामी रामचरणदास महाराज के सान्निध्य में सभी बटुकों को ब्रह्मचारी जीवन की दीक्षा दी गई।

सांसद श्री शंकर लालवानी ने समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर बटुकों को शुभकामनाएं दीं।
पूरे अनुष्ठान में पं. विवेक शास्त्री, पं. अमित दास, पं. सुरेश पाठक, पं. अशोक चतुर्वेदी, बी.के. शर्मा आदि विद्वानों ने सहकार्य किया।


पीठाधीश्वर का आह्वान – करें शिखा और सूत्र की रक्षा

अपने आशीर्वचन में महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज ने बटुकों को संबोधित करते हुए कहा कि “शिखा और यज्ञोपवीत (सूत्र) ब्राह्मण की पहचान हैं। इनकी रक्षा करना प्रत्येक ब्राह्मण का धर्म है।” उन्होंने बटुकों से धर्म, अध्यात्म और समाज कल्याण के मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का आग्रह किया।


हनुमान कथा एवं लक्ष्मीनारायण यज्ञ का शुभारंभ

कार्यक्रम से पूर्व लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का शुभारंभ हुआ, जो प्रतिदिन सुबह 8:30 से दोपहर 1 बजे तक पं. विवेक कृष्ण शास्त्री के निर्देशन में चलेगा। इसकी पूर्णाहुति 11 अप्रैल को होगी।

दोपहर के बाद हनुमान कथा का प्रारंभ हुआ, जो प्रतिदिन सायं 4 बजे से 7 बजे तक आयोजित की जाएगी। कथा के यजमान अनंत योगेन्द्र महंत बनाए गए हैं।

अंतिम युद्ध – विनोद गोयल

 


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