
बीमा क्षेत्र में 100% FDI का रास्ता साफ, ग्राहकों और कंपनियों दोनों को मिलेगा फायदा
नई दिल्ली: देश के हर कोने तक बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा 100% तक बढ़ाने वाला बिल मंजूर कर दिया। यह बिल इसी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है।
मकसद:
इस कदम का मुख्य उद्देश्य बीमा सेवाओं की पहुंच बढ़ाना, सेक्टर की ग्रोथ को तेज करना और कंपनियों के लिए कामकाज को आसान बनाना है।
ग्राहकों को फायदा:
बदलाव से पॉलिसी होल्डर्स को अधिक सुरक्षा और विकल्प मिलेंगे। नए प्रोडक्ट्स, बेहतर कीमतें और उत्कृष्ट सेवा सुनिश्चित होगी। ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर नरेंद्र गणपुले के अनुसार, यह निर्णय ग्राहकों के हित को ध्यान में रखकर लिया गया है।
कंपनियों को लाभ:
LIC एक्ट में संशोधन से बोर्ड को ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी। अब वे नई शाखाएं खोलने और कर्मचारियों की भर्ती जैसे फैसले खुद ले सकेंगे।
पैसा और विशेषज्ञता:
आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ कमलेश राव का कहना है कि इससे विदेशी कंपनियों को भारत आने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन उनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे अपने प्रोडक्ट्स को लोगों तक कैसे पहुंचाते हैं। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर देवाशीष बनर्जी और रिन्यू- बाय के सीईओ बालाचंदर शेखर का मानना है कि 100% FDI से भारत में विदेशी निवेश और विशेषज्ञता दोनों आएंगे।
सकारात्मक असर:
इस सुधार से न केवल ग्राहकों को बेहतर विकल्प मिलेंगे बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक हर भारतीय के लिए बीमा सुलभ और किफायती हो।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में ही यह प्रस्ताव रखा था। वर्तमान में इंश्योरेंस सेक्टर में करीब 82,000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आ चुका है। अब 100% FDI से भारतीय बीमा बाजार में नई ऊर्जा और विकास की उम्मीदें बढ़ गई हैं।