
इंदौर/वॉशिंगटन। अमेरिका में लम्बे समय से लंबित पड़े ‘ड्रीम एक्ट’ को लेकर एक बार फिर उम्मीद जगी है। इलिनोइस से सीनेटर डिक डर्बन, जो 2026 में रिटायर होने वाले हैं, चाहते हैं कि कांग्रेस छोड़ने से पहले यह अहम बिल पास हो जाए। यदि ऐसा हुआ, तो अमेरिका में पले-बढ़े हजारों भारतीय छात्रों के लिए नागरिकता का रास्ता खुल सकता है।
क्या है ‘ड्रीम एक्ट’?
‘डेवलपमेंट, रिलीफ एंड एजुकेशन फॉर एलियन माइनर्स एक्ट’, जिसे आमतौर पर ‘ड्रीम एक्ट’ कहा जाता है, उन युवाओं को फायदा देता है, जो बचपन में बिना किसी स्थायी इमिग्रेशन स्टेटस के अमेरिका पहुंचे थे। बिल के तहत ऐसे युवाओं को कंडीशनल परमानेंट रेजिडेंसी मिल सकती है, बशर्ते वे कुछ आवश्यक शर्तें पूरी करें—जैसे पढ़ाई, नौकरी या सेना में सेवा।
इसके बाद रास्ता खुलता है ग्रीन कार्ड और आगे चलकर अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने का।
कौन हैं ‘ड्रीमर्स’?
ड्रीम एक्ट से जिन युवाओं को लाभ मिलेगा, उन्हें ‘ड्रीमर्स’ कहा जाता है। अभी वे DACA प्रावधान के तहत डिपोर्टेशन से सुरक्षित हैं, लेकिन नागरिकता पाने का अधिकार नहीं है। ऐसे युवाओं में बड़ी संख्या भारतीय मूल के छात्रों की है, जो अमेरिका में स्कूल–कॉलेज तक की पढ़ाई कर चुके हैं।
‘डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स’ भी होंगे शामिल
इस साल पेश किए जा रहे संशोधित बिल में ‘डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स’ को भी शामिल किया गया है—ये वे बच्चे हैं जिनके माता-पिता H-1B, L-1 जैसे वर्क वीजा पर अमेरिका में रहते हैं।
समस्या यह है कि जैसे ही ये बच्चे 21 वर्ष के होते हैं, इन्हें या तो देश छोड़ना पड़ता है या फिर नए वीजा के लिए संघर्ष करना पड़ता है। यह सबसे अधिक भारतीय परिवारों को प्रभावित करता है।
ग्रीन कार्ड बैकलॉग बना बड़ी बाधा
EB-2 और EB-3 कैटेगरी में भारतीयों का ग्रीन कार्ड बैकलॉग 10 लाख से अधिक है।
करीब 1 लाख से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जो 21 वर्ष के होने तक ग्रीन कार्ड मिलने की संभावना खो देते हैं।
कारण है—हर साल किसी भी देश के सिर्फ 7% आवेदकों को ही ग्रीन कार्ड जारी किया जाता है।
ड्रीम एक्ट में क्या है प्रावधान?
- ड्रीमर्स और डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स को 8 वर्षों की कंडीशनल परमानेंट रेजिडेंसी
- डिपोर्टेशन से सुरक्षा
- कानूनी रूप से नौकरी और विदेश यात्रा की अनुमति
- पात्रता:
- 18 वर्ष से पहले अमेरिका में प्रवेश
- पिछले 4 वर्षों से लगातार निवास
- बैकग्राउंड एवं मेडिकल जांच
- टैक्स दस्तावेज प्रस्तुत करना
परमानेंट रेजिडेंसी उन्हें तभी मिलेगी जब वे—
- अमेरिका में पढ़ाई कर चुके हों, या
- कम से कम 2 वर्ष सेना में सेवा दी हो, या
- 3 वर्ष तक कानूनी रूप से नौकरी की हो।
यूनिवर्सिटीज भी कर रहीं समर्थन
600 से अधिक अमेरिकी विश्वविद्यालयों के संगठन ‘प्रेसिडेंट्स अलायंस’ ने इस बिल का समर्थन किया है। अक्सर कई छात्र 21 वर्ष की उम्र के कारण वीजा संकट में फंस जाते हैं और पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती है। विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों को अमेरिका में बनाए रखना चाहते हैं।
भारतीय परिवारों के लिए क्या मायने?
भारतीय परिवारों के लिए यह बिल स्थिरता की उम्मीद लेकर आया है।
लंबे समय से बढ़ती ग्रीन कार्ड कतार के कारण असुरक्षा झेल रहे हजारों बच्चों को इससे कानूनी सुरक्षा, भविष्य की स्थिरता और नागरिकता की स्पष्ट राह मिल सकती है।
ड्रीम एक्ट न सिर्फ एक इमिग्रेशन बिल है, बल्कि उन भारतीय छात्रों के लिए जीवन बदलने वाला कदम साबित हो सकता है, जिन्होंने अपना पूरा बचपन और शिक्षा अमेरिका में बिताई है और वहीं अपना भविष्य बनाना चाहते हैं।
